सप्ताह में शनिवार का दिन शनिदेव को समर्पित है। इस दिन उनकी पूजा करने से व्यक्ति के कष्टों में कमी आती हैं। वैदिक ज्योतिष में शनिदेव को विशेष स्थान प्राप्त है। उन्हें न्याय का देवता कहा जाता है, क्योंकि वह व्यक्ति को कर्मों के आधार पर फल प्रदान करते हैं। हम सभी की कुंडली में शनि के स्थान का विशेष महत्व है। वह एक ऐसे ग्रह हैं, जो मंद गति से चलते हैं और उनका प्रभाव जीवन में देखने को मिलता है।
शनिदेव कुंभ राशि और मकर राशि के स्वामी ग्रह हैं। इस राशि के जातकों पर उनकी विशेष कृपा बनी रहती है। माना जाता है कि शनि के शुभ प्रभाव होने से सफलता के योग बनते हैं, और जीवन में सुख-समृद्धि बनी रहती है। वहीं साढ़ेसाती और ढैय्या जैसे दोष होने पर बने बनाए कार्य भी बिगड़ जाते है। साथ ही व्यक्ति को आर्थिक संकट का सामना करना पड़ता है। इन दोषों से छुटकारा पाने के लिए शनिवार के दिन शनिदेव की पूजा करनी चाहिए। इस दौरान कुछ खास कार्यों को करने से शुभ परिणामों की प्राप्ति हो सकती हैं। इनके बारे में उपाय बता रहे ज्योतिषाचार्य पंडित रामाज्ञा दूबे जी ।
शनिदेव पूजा विधि
शनिदेव की पूजा करने के लिए सुबह जल्दी उठकर स्नान करें। शनिदेव के मंदिर में जाएं, फिर उनकी मूर्ति के पास सरसों के तेल का दीपक जलाएं। इस दौरान उन्हें नीले फूल, काली उड़द, काला कपड़ा, काले तिल अर्पित करें। बाद में फिर सरसों का तेल चढ़ाएं। माना जाता है कि शनिवार को शनिदेव को मीठी पूड़ी का भोग लगाना चाहिए। इससे वह प्रसन्न होते हैं। बाद काली तुलसी की माला से ‘ओम् शं शनैश्चराय नम:’ इस मंत्र का 108 बार जाप करें। फिर शनिदेव की आरती शुरू करें और पूजा समाप्त करें।
शनिवार के दिन जरूर करें ये उपाय
शनिवार के दिन पीपल के पेड़ की पूजा करें। इससे शनि दोष से मुक्ति मिलती हैं। साथ ही शनिदेव की कृपा बनी रहती है। इस दौरान शनिदेव के मंत्रों का जाप करना चाहिए। इससे साढ़ेसाती का प्रभाव कम होता है।
शनिवार को शनि चालीसा का पाठ करें, इससे शुभ परिणामों की प्राप्ति होती है। इस दिन काला तिल, काला छाता, सरसों का तेल, काली उड़द और जूते-चप्पल का दान करना चाहिए। इससे जीवन की समस्याएं कम होती हैं और दोष भी कम होने लगता है। मान्यताओं के अनुसार शनिवार के दिन हनुमान जी की पूजा करने से शनिदेव प्रसन्न होते हैं।
शनिदेव के प्रमुख मंत्र
जानिए शनिदेव की पूजा करते वक्त किन मंत्रों का जाप करना शुभ माना जाता है.
शनि गायत्री मंत्र
ॐ शनैश्चराय विदमहे छायापुत्राय धीमहि ।
शनि बीज मंत्र
ॐ प्रां प्रीं प्रों स: शनैश्चराय नमः ।।
शनि स्तोत्र
ॐ नीलांजन समाभासं रवि पुत्रं यमाग्रजम ।
छायामार्तंड संभूतं तं नमामि शनैश्चरम ।।
शनि पीड़ाहर स्तोत्र
सुर्यपुत्रो दीर्घदेहो विशालाक्ष: शिवप्रिय: ।
दीर्घचार: प्रसन्नात्मा पीडां हरतु मे शनि: ।।
तन्नो मंद: प्रचोदयात ।।