आखिर इस बार क्यों कम हो गई वेस्ट यूपी में विभिन्न राजनीतिक पार्टियों में मुस्लिम नुमाइंदगी?

इस बार के लोकसभा चुनाव में एक नया ट्रेंड देखने को मिला है
पश्चिमी उत्तर प्रदेश में मुस्लिम नुमाइंदगी घट गई है

मेरठ. इस बार के लोकसभा चुनाव में एक नया ट्रेंड देखने को मिला है. पश्चिमी उत्तर प्रदेश में मुस्लिम नुमाइंदगी घट गई है. 2019 के लोकसभा चुनाव के नतीज़ों पर गौर करें तो सहारनपुर से हाजी फ़ज़लुर्रहमान, अमरोहा से कुंवर दानिश अली, संभल से डॉ. शफीकुर्रहमान बर्क़, मुरादाबाद से एसटी हसन और रामपुर से आज़म ख़ान ने कामयाबी हासिल की थी. लेकिन 2024 का चुनाव आते आते राजनीतिक समीकरण बदल गए हैं.

पहले फेज़ में जहां मुज़फ्फरनगर, कैराना, सहारनपुर, बिजनौर, नगीना, पीलीभीत, मुरादाबाद और रामपुर में मतदान हुआ. लेकिन ज्यादातर सीटों पर सपा-बसपा ने इस बार हिंदू उम्मीदवार उतारे. पहले चरण में सहारनपुर, रामपुर, कैराना और पीलीभीत से सपा-बसपा की तरफ से मुस्लिम प्रत्याशी मैदान में हैं. यहां तक कि मुरादाबाद में समाजवादी पार्टी और कांग्रेस गठबंधन की तरफ से रुचि वीरा को उम्मीदवारा बनाया गया. मुरादाबाद से एसटी हसन 2019 में चुनाव जीते थे.

हालांकि, इस बार मुरादाबाद में बसपा का मुस्लिम प्रत्याशी मैदान में है. पहले फेज़ के साथ-साथ दूसरे फेज़ में भी विभिन्न राजनीतिक पार्टियों ने मुस्लिम उम्मीदवार उतारने से परहेज़ किया. चाहे वो मेरठ जैसी सीट हो या फिर बागपत जैसी सीट. मेरठ में तो आज़ादी के बाद से ऐसा पहली बार हो रहा है कि प्रमुख पार्टियों में से किसी ने मुस्लिम उम्मीदवार नहीं उतारा. इस बार मेरठ से भाजपा ने अरुण गोविल तो सपा-कांग्रेस गठबंधन की तरफ से सुनीता वर्मा और बसपा की तरफ से देवव्रत त्यागी को उम्मीदवार बनाया गया. यही हाल बागपत का भी है. दूसरे चरण में मेरठ, बागपत समेत अमरोहा, गाज़ियाबाद, गौतमबुद्धनगर, बुलंदशहर, अलीगढ़ और मथुरा में मतदान होना है.

ऐसे में वेस्ट यूपी में मुस्लिम क्षेत्र में सियासी हवा क्या कहती है ये प्रश्न बेहद महत्वपूर्ण है. वरिष्ठ पत्रकार पुष्पेंद्र शर्मा कहते हैं कि ओवैसी बार-बार ये कहते हैं कि मुस्लिम को सिर्फ वोट बैंक समझा जाता है. मायावती ने भी इस बार विशेष तौर पर मुस्लिम को लेकर टिप्पणी की थी. वो कहते हैं कि मुस्लिम मतदाता असमंजस में है. नगर निकाय चुनाव में मुसलमान ने सपा से दूरी बनाने की कोशिश की. अब जबकि सपा- कांग्रेस गठबंधन हो गया है तो वो इसे तवोज्जो दे रहे हैं. मुसलमान इसे लेकर फिक्रमंद है कि उनकी नुमाइंदगी कम होती जा रही है.