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हमें उस राह पर जाने को मजबूर कर रहे हैं जहां… हाईकोर्ट की CM केजरीवाल को फटकार

   सीएम के जेल में होने की वजह से काम रुकने की बात सुनकर जज और नाराज हो गए. कार्यवाहक चीफ जस्‍ट‍िस मनमोहन ने कहा कि सीएम के जेल में होने का यह मतलब नहीं है कि छात्रों को पाठ्य पुस्तकों के बिना पढ़ने के लिए छोड़ दिया जाए.

नई दिल्‍ली. मुख्‍यमंत्री अरविंद केजरीवाल इस वक्‍त दिल्‍ली की तिहाड़ जेल में बंद हैं. वहीं, उन्‍हें लेकर दिल्‍ली हाईकोर्ट में शुक्रवार को जमकर कोर्ट-रूम ड्रामा देखने को मिला. हाईकोर्ट के कार्यवाहक मुख्‍य न्‍यायाधीश मनमोहन इस कदर नाराज हो गए कि उन्‍होंने दिल्‍ली सरकार के वकील को यह तक कह दिया कि आप हमारी शक्ति को कम आंकने की गलती ना करें. पीठ ने कहा कि हिरासत में रहते सरकार चलाना सीएम अरविंद केजरीवाल की अपनी पसंद है लेकिन आप हमें उस रास्ते पर जाने के लिए मजबूर कर रहे हैं, जिस पर हम नहीं जाना चाहते.

 

हाईकोर्ट उस जनहित याचिका पर सुनवाई कर रहा है, जिसमें आरोप लगाया गया है कि दिल्‍ली नगर निगम और दिल्‍ली सरकार की आपसी खींचतान के कारण एमसीडी स्कूलों में पढ़ने वाले बच्‍चों को किताबें नहीं मिल पाई हैं. छात्र मजबूरी में टिन शेड में पढ़ाई करने को मजबूर हैं. हाईकोर्ट ने इसपर नाराजगी जाहिर करते हुए कहा कि दिल्ली में हालात बहुत खराब हैं और एमसीडी के तहत लगभग हर प्रमुख काम ठप्प पड़ा है. हमारी शक्तियों को कम आंकने की गलती नहीं की जाए.

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वकील की टिप्‍पणी से नाराज हुए जज…
बेंच ने कहा कि शहरी विकास मंत्री सौरभ भारद्वाज ने आंखें मूंद रखी हैं और वो घड़ियाली आंसू बहा रहे हैं. कोर्ट के सख्‍त रूख के बाद दिल्ली सरकार के वकील के पास जवाब देते नहीं बन रहा था. वकील शादान फरासत ने इससे पहले कहा था कि मंत्री भारद्वाज से निर्देश मिले हैं कि एमसीडी की स्थायी समिति की गैरमौजूदगी में किसी उपयुक्त प्राधिकारी को शक्तियां सौंपने के लिए मुख्यमंत्री की सहमति की जरूरत होगी, जो अभी हिरासत में हैं.

छात्रों को पुस्‍तक बांटने का मामला…
सीएम के जेल में होने की वजह से काम रुकने की बात सुनकर जज और नाराज हो गए. कार्यवाहक चीफ जस्‍ट‍िस मनमोहन ने कहा कि सीएम के जेल में होने का यह मतलब नहीं है कि छात्रों को पाठ्य पुस्तकों के बिना पढ़ने के लिए छोड़ दिया जाए. यह उनकी पसंद है कि हिरासत में होने के बावजूद सरकार चलती रहेगी.

आप (सीएम) हमें उस रास्ते पर जाने के लिए मजबूर कर रहे हैं, जिस पर हम नहीं जाना चाहते थे. हमने अपने सामने आई जनहित याचिकाओं में कई बार यह कहा है लेकिन यह आपके प्रशासन का फैसला है. अगर आप चाहते हैं कि हम इस पर टिप्पणी करें, तो हम इस पर विचार करेंगे. हाइकोर्ट ने कहा कि अदालत का किताबें व ड्रेस वितरण का काम नहीं है. हम ऐसा इसलिए कर रहे हैं क्योंकि कोई व्यक्ति अपने काम में विफल हो रहा है. आपको सिर्फ सत्ता में दिलचस्पी है. मुझे नहीं पता कि आपको कितनी सत्ता चाहिए?

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