अंत सभी का होता ही है,
कंस रावण हिरण्यकश्यप।
हरि विरोधी जो भी होगा,
उनका होगा रामनाम सत्य।।
यही जगत की सच्चाई है,
मूर्ख नही समझ पाते।
अति की भी सीमा होती है,
रहते समय सकझ जाते।।
आज भी जो घटित हो रहा,
उसका अंत भी होना है।
हो केरल बंगाल कही और, सबको एक दिन रोना है।।
अंधा नही है ऊपर वाला सभी उसके निगरानी में।
कंकड़ नही पिघल सकता, सोंचो कभी भी पानी मे।।
विक्रम सिंह”विक्रम