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यूपी सरकार 6 साल में खर्च करेगी 4,000 करोड़ रुपये, 28 जिलों में नकदी फसलों की खेती को बढ़ावा देगी

   किसानों की आमदनी बढ़ाने के लिए उत्तर प्रदेश की योगी सरकार 28 जिलों में मूंगफली, मिर्च व हरी मटर जैसी फसलों का उत्पादन बढ़ाने की योजना पर काम करेगी।

प्रदेश सरकार कृषि सेक्टर के कायाकल्प और कृषि आधारित उद्योगों को प्रोत्साहित करने के लिए ‘कृषि विकास एवं ग्रामीण उद्यमिता सुदृढ़ीकरण कार्यक्रम’ (यूपी एग्रीस) की शुरुआत करने जा रही है।

इस परियोजना के तहत अगले छह सालों में 4,000 करोड़ रूपये खर्च किए जाएंगे। इस योजना के तहत न केवल फसलों की उत्पादकता बढ़ाने के लिए नियोजित प्रयास होंगे, बल्कि मूंगफली, मिर्च और हरी मटर जैसी फसलों के क्रॉप क्लस्टर और इनसे जुड़े उद्योगों के नए क्लस्टरों के विकास तथा निर्यात की बढ़ोतरी का प्रयास भी होगा।

राज्य सरकार किसानों को विभिन्न देशों में भेजकर नई तकनीक का प्रशिक्षण दिलाएगी। साथ ही, कृषि सेक्टर का वित्त पोषण करेगी। विश्व बैंक की सहायता से शुरू हो रही यह परियोजना किसान, कृषक उत्पादक संगठन और कृषि उद्यमियों को हर संभव तकनीकी सहायता तथा इंफ्रास्ट्रक्चर भी मुहैया कराएगी।

मुख्यमंत्री ने इस योजना को लेकर विश्व बैंक के प्रतिनिधियों के साथ एक उच्च स्तरीय बैठक की। इस मौके पर उन्होंने कहा कि 187.70 लाख हेक्टेयर से अधिक कृषि भूमि के साथ उत्तर प्रदेश देश का एकमात्र राज्य है, जहां कुल उपलब्ध भूमि के 76 फीसदी पर खेती की जाती है। राज्य में 86 फीसदी से अधिक सिंचित भूमि है। विगत सात सालों में नियोजित प्रयासों से प्रदेश में विभिन्न फसलों की उत्पादकता में बढ़ोतरी हुई है। लेकिन अब भी बुंदेलखण्ड, पूर्वांचल तथा विंध्य क्षेत्र में अब भी बहुत कुछ किये जाने की आवश्यकता है। उत्तर प्रदेश को 9 एग्रो क्लाइमेटिक जोन का लाभ प्राप्त होता रहा है। इस नई परियोजना में इन एग्रो क्लाइमेटिक जोन के आधार पर फसल उत्पादन एवं अन्य कृषि गतिविधियों को बढ़ावा देने की रणनीति अपनाई जानी चाहिए।

मुख्यमंत्री ने कहा कि पश्चिमी एवं पूर्वी उत्तर प्रदेश राज्य की कुल जनसंख्या में 40-40 फीसदी की भागीदारी रखते हैं, लेकिन जहां पश्चिमी उत्तर प्रदेश का प्रदेश के कृषि उत्पादन में 50 फीसदी योगदान है। वहीं पूर्वी उत्तर प्रदेश का योगदान मात्र 28 प्रतिशत है। इसी प्रकार, बुंदेलखंड में प्रदेश की कुल जनसंख्या की 7 फीसदी जनसंख्या निवास करती है। जबकि कृषि उत्पादन में इस क्षेत्र का योगदान मात्र 5.5 फीसदी है।

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उन्होंने कहा कि जेवर अन्तरराष्ट्रीय एयरपोर्ट के पास एक्सपोर्ट हब की स्थापना की जाए। कृषि में ऋण प्रवाह को बढ़ाने की आवश्यकता है। साथ ही, कृषि एवं खाद्य प्रसंस्करण में महिला समूहों की भागीदारी भी बढ़ाने के प्रयास होने चाहिए। परियोजना के तहत विशिष्ट उत्पादों के सेंटर ऑफ एक्सीलेंस के विकास, आपूर्ति श्रृंखला को सुदृढ़ करने तथा बाजार मानकों के अनुरूप फसल की गुणवत्ता में सुधार के प्रयास भी किये जाने चाहिए।

मुख्य सचिव मनोज कुमार सिंह ने कहा कि विश्व बैंक के प्रतिनिधियों के साथ अब तक हुई वार्ता के अनुसार यह परियोजना 6 साल की होगी। लगभग 4,000 करोड़ रुपये की इस परियोजना का सीधा लाभ कृषक, कृषक उत्पादक समूहों, मत्स्य पालकों और कृषि सेक्टर से जुड़ी एमएसएमई इकाइयों को होगा। यूपी एग्रीस परियोजना पूर्वी उत्तर प्रदेश के 21 तथा बुंदेलखण्ड के 7 जिलों में संचालित की जाएगी। परियोजना के माध्यम से 10 लाख किसानों को प्रत्यक्ष सहायता मिलेगी, जिनमें से 30 फीसदी महिला किसान होगी। इसके अतिरिक्त एक लाख से अधिक मत्स्य पालक परिवारों को सहायता दी जाएगी। करीब 500 किसानों को सर्वोत्तम कृषि तकनीकी देखने के लिए विदेश भ्रमण भी कराया जाएगा।

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