नमामि गंगे के प्रोजेक्ट मैनेजर का अपहरण कराने, पिस्टल सटाकर रंगदारी मांगने के आरोपी पूर्व सांसद धनंजय सिंह को बुधवार को सजा सुनाई गई है। मैनेजर ने 10 मई 2020 को लाइन बाजार थाने में अपहरण, रंगदारी व अन्य धाराओं में पूर्व सांसद धनंजय सिंह व विक्रम के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कराई थी।
अदालत ने दोनों अभियुक्तों पर डेढ़-डेढ़ लाख रुपये जुर्माना भी लगाया है। अदालत ने कहा कि इस मामले में अभियुक्तगण द्वारा जेल में बिताई गई अवधि सजा की अवधि में समायोजित की जाएगी। अदलत के आदेश से दोनों अभियुक्तों को न्यायिक अभिरक्षा में जिला जेल भेज दिया गया। इसके साथ ही यह भी तय हो गया कि अब धनंजय सिंह लोकसभा और विधानसभा चुनाव नहीं लड़ पाएगा।
अदालत ने अपने आदेश में कहा कि मामले में यह सिद्ध हुआ है कि अभियुक्तगण द्वारा वादी मुकदमा को उसके कार्यक्षेत्र से जबरन अपने घर बुलवाकर पिस्तौल दिखाकर उसे व उसकी कंपनी के लोगों को डराया व धमकाया गया। उन पर यह दबाव डाला गया कि नमामि गंगे परियोजना में मात्र और मात्र अभियुक्तगण का ही गिट्टी व बालू प्रयोग किया जाए। अन्यथा की स्थिति में वादी व उसकी कंपनी के लोगों का जीवन खतरे में पड़ जाएगा।
मगर, मामले को देखने से यह स्पष्ट है कि अभियुक्तगण के द्वारा समर्थ व सक्षम होने के बावजूद भी वादी को घटना के समय व उसके पश्चात किसी तरह की कोई भी शारीरिक हानि नहीं पहुंचाई गई। अभियुक्त धनंजय सिंह जनप्रतिनिधि भी है और दूसरा अभियुक्त संतोष विक्रम सिंह उसका सहयोगी है। अभियुकगण के खिलाफ दर्ज अधिकांश मुकदमे दोषमुक्ति, उन्मोचन, फाइनल रिपोर्ट या सरकार द्वारा वापस लिए जाने के आधार पर समाप्त हो चुके हैं। इस न्यायालय के समक्ष भी बुलाए जाने पर अभियुक्तगण ट्रायल के दौरान हाजिर होते रहे हैं।