- दिनांक 15.11.2020 का पंचाग
- शुभ संवत 2077 शक 1942 सूर्य दक्षिणायन का…कार्तिक मास शुक्ल पक्ष प्रतिपदा तिथि … दिन को 10 बजकर 37 मिनट तक … दिन … रविवार … विशाखा नक्षत्र … सायं को 05 बजकर 17 मिनट तक … आज चंद्रमा … तुला राशि में … आज का राहुकाल दोपहर 03 बजकर 57 मिनट से 05 बजकर 21 मिनट तक होगा …

गोवर्धन पूजा की तिथि और मुहूर्त –
गोवर्धन पूजा कार्तिक माह में शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा को मनाई जाती है। इसकी गणना निम्न प्रकार से की जा सकती है।
- गोवर्धन पूजा कार्तिक शुक्ल प्रतिपदा के दिन मनानी चाहिए लेकिन यह सुनिश्चित हो कि इस दिन संध्या के समय चंद्र दर्शन नहीं हो।
- यदि शाम को सूर्यास्त के समय कार्तिक शुक्ल प्रतिपदा के दिन चंद्र दर्शन होने वाला है तो गोवर्धन पूजा पहले दिन करनी चाहिए।
- यदि सूर्य उदय के समय प्रतिपदा तिथि लगती है और चंद्र दर्शन नहीं हो, तो उसी दिन गोवर्धन पूजा मनानी चाहिए। अगर ऐसा नहीं हो तो गोवर्धन पूजा पहले दिन मान्य होगी।
- जब सूर्योदय के बाद प्रतिपदा तिथि कम से कम 9 मुहूर्त तक विद्यमान हो, भले ही उस दिन चंद्र दर्शन शाम को हो जाए लेकिन स्थूल चंद्र दर्शन का अभाव माना जाए। ऐसी स्थिति में गोवर्धन पूजा उसी दिन मनानी चाहि
15 नवंबर 2020
गोवर्धन पूजा
मुहूर्त 15:22 से 17:36 तक
अवधि 2 घंटे 13 मिनट
गोवर्धन पूजा के नियम और विधि
गोवर्धन पूजा का भारतीय जन जीवन में इसलिए बड़ा महत्व है क्योकि भारत कृषि प्रधान देश है और कृषि के लिए भारिश का होना जरुरी है इसी से गायों और अन्य पशुओं की सेवा हो पाती है चूँकि बारिश की खातिर पर्वतों और वृक्षों का होना जरुरी है इसलिए परम्परागत रूप से यह पर्व भारतीय कृषकों के बीच अत्यंत प्रिय है । वेदों में इस दिन वरुण, इंद्र, अग्नि आदि देवताओं की पूजा का विधान है। इस दिन गोवर्धन पर्वत, गोधन यानि गाय और भगवान श्री कृष्ण की पूजा का विशेष महत्व है। यह त्यौहार मानव जाति को इस बात का संदेश देता है कि हमारा जीवन प्रकृति द्वारा प्रदान संसाधनों पर निर्भर है और इसके लिए हमें उनका सम्मान और धन्यवाद करना चाहिए। गोवर्धन पूजा के जरिए हम समस्त प्राकृतिक संसाधनों के प्रति सम्मान व्यक्त करते हैं।
- गोवर्धन पूजा के दिन गोबर से गोवर्धन बनाकर उसे फूलों से सजाया जाता है। गोवर्धन पूजा सुबह या शाम के समय की जाती है। पूजन के दौरान गोवर्धन पर धूप, दीप, नैवेद्य, जल, फल आदि चढ़ाये जाने चाहिए। इसी दिन गाय-बैल और कृषि काम में आने वाले पशुओं की पूजा की जाती है।
- गोवर्धन जी गोबर से लेटे हुए पुरुष के रूप में बनाए जाते हैं। नाभि के स्थान पर एक मिट्टी का दीपक रख दिया जाता है। इस दीपक में दूध, दही, गंगाजल, शहद, बताशे आदि पूजा करते समय डाल दिए जाते हैं और बाद में प्रसाद के रूप में बांट दिए जाते हैं।
- पूजा के बाद गोवर्धन जी की सात परिक्रमाएं लगाते हुए उनकी जय बोली जाती है। परिक्रमा के वक्त हाथ में लोटे से जल गिराते हुए और जौ बोते हुए परिक्रमा पूरी की जाती है।
- गोवर्धन गिरि भगवान के रूप में माने जाते हैं और इस दिन उनकी पूजा घर में करने से धन, संतान और गौ रस की वृद्धि होती है।
- गोवर्धन पूजा के दिन भगवान विश्वकर्मा की पूजा भी की जाती है। इस मौके पर सभी कारखानों और उद्योगों में मशीनों की पूजा होती है।
गोवर्धन पूजा पर होने वाले आयोजन
- गोवर्धन पूजा प्रकृति और भगवान श्री कृष्ण को समर्पित त्यौहार है। गोवर्धन पूजा के मौके पर देशभर के मंदिरों में धार्मिक आयोजन और अन्नकूट यानि भंडारे होते हैं। पूजन के बाद लोगों में भोजन प्रसाद के रूप में बांटा जाता है।
- गोवर्धन पूजा के दिन गोवर्धन पर्वत की परिक्रमा लगाने का बड़ा महत्व है। मान्यता है कि परिक्रमा करने से भगवान श्री कृष्ण का आशीर्वाद प्राप्त होता है।
गोवर्धन पूजा से जुड़ी कथा क्या है ?
विष्णु पुराण में गोवर्धन पूजा के महत्व का वर्णन मिलता है। बताया जाता है कि देवराज इंद्र को अपनी शक्तियों पर अभिमान हो गया था और भगवान श्री कृष्ण इंद्र के अहंकार को चूर करने के लिए एक लीला रची थी। इस कथा के अनुसार एक समय गोकुल में लोग तरह-तरह के पकवान बना रहे थे और हर्षोल्लास के साथ गीत गा रहे थे। यह सब देखकर बाल कृष्ण ने यशोदा माता से पूछा कि, आप लोग किस उत्सव की तैयारी कर रहे हैं। कृष्ण से सवाल पर मां यशोदा ने कहा कि, हम देवराज इंद्र की पूजा कर रहे हैं। माता यशोदा के जवाब पर कृष्ण ने फिर पूछा कि हम इंद्र की पूजा क्यों करते हैं। तब यशोदा मां ने कहा कि, इंद्र देव की कृपा से अच्छी बारिश होती है और अन्न की पैदावार होती है, हमारी गायों को चारा मिलता है। माता यशोदा की बात सुनकर कृष्ण ने कहा कि, अगर ऐसा है तो हमें गोवर्धन पर्वत की पूजा करनी चाहिए। क्योंकि हमारी गाय वहीं चरती है, वहां लगे पेड़-पौधों की वजह से बारिश होती है। कृष्ण की बात मानकर सभी गोकुल वासियों ने गोवर्धन पर्वत की पूजा शुरू कर दी। यह सब देख देवराज इंद्र क्रोधित हो गए और अपने इस अपमान का बदला लेने के लिए मूसलाधार बारिश शुरू कर दी। प्रलयकारी वर्षा देखकर सभी गोकुल वासी घबरा गए। इस दौरान भगवान श्री कृष्ण ने अपनी लीला दिखाई और गोवर्धन पर्वत को छोटी सी अंगुली पर उठा लिया और समस्त ग्राम वासियों को पर्वत के नीचे बुला लिया। यह देखकर इंद्र ने बारिश और तेज कर दी लेकिन 7 दिन तक लगातार मूसलाधार बारिश के बावजूद गोकुल वासियों को कोई नुकसान नहीं पहुंचा। इसके बाद इंद्र को अहसास हुआ कि मुकाबला करने वाला कोई साधारण मनुष्य नहीं हो सकता है। इंद्र को जब यह ज्ञान हुआ कि वह भगवान श्री कृष्ण से मुकाबला कर रहा था, इसके बाद इंद्र ने भगवान श्री कृष्ण से क्षमा याचना की और स्वयं मुरलीधर की पूजा कर उन्हें भोग लगाया। इस पौराणिक घटना के बाद से गोवर्धन पूजा की शुरुआत हुई।
गोवर्धन पूजा के दिन गोवर्धन पर्वत की परिक्रमा का विशेष महत्व है। गोवर्धन पर्वत उत्तर प्रदेश के मथुरा जिले में स्थित है।
क्या हैं अन्नकूट उत्सव ?
इंद्र को चढ़ाया जानें वाला भोग कृष्ण और गोपिकाओं के कूट कूट क़र गोबर्धन और गायों को खिलाया उसे ही अन्न कूट कहते हैं गोवर्धन पूजा के मौके पर मंदिरों में अन्न कूट का आयोजन किया जाता है। अन्न कूट यानि कई प्रकार के अन्न का मिश्रण, जिसे भोग के रूप में भगवान श्री कृष्ण को चढ़ाया जाता है। कुछ स्थानों पर विशेष रूप से बाजरे की खिचड़ी बनाई जाती है, साथ ही तेल की पूड़ी आदि बनाने की परंपरा है। अन्न कूट के साथ-साथ दूध से बनी मिठाई और स्वादिष्ट पकवान भोग में चढ़ाए जाते हैं। पूजन के बाद इन पकवानों को प्रसाद के रूप में श्रद्धालुओं को बांटा जाता है।
आज के राशियों का हाल तथा ग्रहों की चाल-
मेष राशि –
संतान सुख तथा सामाजिक प्रतिष्ठा में वृद्धि…
दोस्तों के बीच धन का व्यय…
आहार की अनियमितता से स्वास्थ्य कष्ट…
उपाय-
- ऊॅ भौं भौमाय नमः का एक माला जाप करें….
- मंदिर में लड्ड़ का भोग लगायें….
- अपने वाहन में मंदिर का लाल कपड़ा बांधकर रखें….
वृषभ राशि –
विवाद में समझौता…
वित्तीय समझौते से आर्थिक लाभ…
लाईफपार्टनर से अनबन…
उपाय-
- ऊॅ बृं बृहस्पतयै नमः का एक माला जाप करें….
- पुरोहित को केला, नारियल का दान करें….
- साई जी के दर्शन कर दिन की शुरूआत करें….
- देवी जी में पीला वस्त्र…पीले पुष्प….लड्डू…का भोग लगायें….
मिथुन राशि –
कीमती वस्तु से संबंधित विवाद संभव…
पारिवारिक कलह….
आलस्य तथा भ्रम की स्थिति…
शुक्रजन्य दोषों को दूर करने के लिए –
- ऊॅ शुं शुक्राय नमः का जाप करें…
- महामाया के दर्शन करें…
- चावल, दूध, दही का दान करें…
कर्क राशि –
आर्ट के क्षेत्र में सफलता…
मनोबल काफी उॅचा होगा….
अध्ययन के क्षेत्र में असफलता…
विभिन्न क्षेत्रों से धन लाभ…
बचाव के लिए –
- ‘‘ऊॅ शं शनैश्चराय नमः’’ की एक माला जाप कर दिन की शुरूआत करें.
- भगवान आशुतोष का रूद्धाभिषेक करें,
- उड़द या तिल दान करें,
सिंह राशि –
सामाजिक कार्य में समय और धन व्यय….
पार्टनरों से तालमेल में कमी…
आकस्मिक घाटा या धोखे की संभावना…..
उपाय –
- ऊॅ बुं बुधाय नमः का एक माला जाप करें….
- गणपति की आराधना करें
- दूबी गणपति में चढ़ाकर मनन करें,
कन्या राशि –
घरेलू अशांति…
घरेलू वस्तु के हानि से तनाव…..
सामाजिक यश में वृद्धि….
उपाय आजमायें-
- ऊॅ रां राहवे नमः का एक माला जाप कर दिन की शुरूआत करें..
- मूली का दान करें..
- सूक्ष्म जीवों को आहार दें..
तुला राशि –
पार्टनरषीप में तालमेल की कमी…
अध्ययन हेतु यात्रा संभव…
प्रेम संबंध में विवाद…
निवृत्ति के लिए –
- ऊॅ कें केतवें नमः का जाप कर दिन की शुरूआत करें…
- सूक्ष्म जीवों की सेवा करें…
- गाय या कुत्ते को आहार दें…
वृश्चिक राशि –
महत्वाकांक्षा के अनुरूप लाभ….
कला के क्षेत्र में प्रसिद्धि…
किसी व्यसन से शारीरिक कष्ट…
काम में आकस्मिक बाधा…
उपाय करें –
- प्रातः स्नान के उपरांत सूर्य को जल में लाल पुष्प तथा शक्कर मिलाकर…. अध्र्य देते हुए….. ऊॅ धृणि सूर्याय नमः का पाठ करें…..
- गुड़.. गेहू…का दान करें…
धनु राशि –
साझेदारों के साथ तालमेल से लाभ…
जीवनसाथी के स्वास्थ्य से तनाव….
वित्तीय हानि….
पदोन्नति या नये अवसर की प्राप्ति…
निवृत्ति के लिए –
- उॅ नमः शिवाय का जाप करें…
- दूध, चावल का दान करें…
- रूद्राभिषेक करें…
मकर राशि –
व्यवहारिक कुशलता से अवसर की प्राप्ति…
प्रयास में सफलता….
हडबड़ाहट से चोट…
उपाय आजमायें –
- ऊॅ अं अंगारकाय नमः का जाप करें…
- हनुमानजी की उपासना करें..
- मसूर की दाल, गुड दान करें..
- तुलसी को जल चढ़ायें तथा तुलसी का सेवन करें…
- माता में लाल वस्त्र चढ़ायें…लड्डू का प्रसाद बाॅटें…
कुंभ राशि –
सहयोगियों के साथ धन व्यय…
नई सोच से व्यवसायिक लाभ….
रोग में वृद्धि….
घर में रिष्तेदारों से चहलपहल….
निवारण के लिए –
- ऊॅ गुरूवे नमः का जाप करें…
- पीली वस्तुओं का दान करें…
- गुरूजनों का आर्शीवाद लें..
मीन राशि –
वित्तीय विवाद…
मानसिक कलह…
आकस्मिक भाग्य में अवरोध…
शांति के लिए –
- ऊॅ शुं शुक्राय नमः का जाप करें…
- महामाया के दर्शन करें…
- चावल, दूध, दही का दान करें…