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पहलगाम के हमलावर खेल रहे चूहे-बिल्ली का खेल, चार बार घिरे.. एक बार एनकाउंटर भी.. ज्यादा दिन नहीं बचेंगे गुनहगार

  सुरक्षा बलों ने पहलगाम में हमला करने वाले आतंकवादियों को पिछले पांच दिनों में कई बार देखा है। सूत्रों के अनुसार, आतंकवादी कम से कम चार अलग-अलग जगहों पर दिखे। सुरक्षा बल उन्हें घेरने के बहुत करीब थे, और एक बार गोलीबारी भी हुई। सेना, केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल और जम्मू-कश्मीर पुलिस मिलकर तलाशी अभियान चला रही है।

     नई दिल्लीः पहलगाम में हमला करने वाले आतंकवादियों को सुरक्षा बलों ने पिछले पांच दिनों में कई बार देखा है। सूत्रों के अनुसार, वे कम से कम चार अलग-अलग जगहों पर दिखे। सुरक्षा बल दक्षिण कश्मीर के जंगलों में उन्हें घेरने के बहुत करीब पहुंच गए थे। एक बार तो दोनों तरफ से गोलीबारी भी हुई। सुरक्षा बलों को उम्मीद है कि पहलगाम के गुनहगार जल्द ही पकड़े जाएंगे।

रिपोर्ट के मुताबिक सूत्रों ने बताया कि स्थानीय लोगों से मिली जानकारी, खुफिया जानकारी और तलाशी अभियान के दौरान आतंकवादियों का पता चला। सेना के एक अधिकारी ने कहा, यह बिल्ली और चूहे का खेल है। कई बार ऐसा हुआ है जब वे साफ तौर पर दिखाई दिए हैं। लेकिन जब तक उन्हें पकड़ा जा सकता, वे भाग गए। जंगल बहुत घने हैं और किसी को देखने के बाद भी उसका पीछा करना आसान नहीं है। लेकिन हमें यकीन है कि हम उन्हें पकड़ लेंगे, यह कुछ ही दिनों की बात है।

पहलगाम के आसपास के जंगलों में तलाशी अभियान

सेना, केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल और जम्मू-कश्मीर पुलिस मिलकर पहलगाम के आसपास के जंगलों में तलाशी अभियान चला रही है। वे चार आतंकवादियों को पकड़ना चाहते हैं, जिनमें दो पाकिस्तान से हैं। इन आतंकवादियों ने बैसरन घास के मैदान में 26 लोगों को मौत के घाट उतार दिया था। सूत्रों ने बताया कि आतंकवादियों को पहली बार अनंतनाग के पहलगाम तहसील के हपट नार गांव के पास के जंगलों में देखा गया था। लेकिन वे घने जंगल का फायदा उठाकर भागने में सफल रहे।

बाद में, सूत्रों ने बताया कि आतंकवादियों को कुलगाम के जंगलों में देखा गया। यहां सुरक्षा बलों के साथ उनकी गोलीबारी हुई, जिसके बाद वे फिर से भाग गए। इसके बाद, समूह को त्राल रिज और फिर कोकरनाग में देखा गया। माना जा रहा है कि वे अभी भी वहीं आसपास के इलाकों में घूम रहे हैं।
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…इसलिए आतंकियों को खोजने में हो रही दिक्कत

सूत्रों ने कहा कि आतंकी भी काफी सतर्क हैं, इसलिए उन्हें पकड़ना मुश्किल हो रहा है। एक अधिकारी ने कहा, आमतौर पर, आतंकवादियों को भोजन की व्यवस्था करनी होती है और तभी वे गांवों में जाते हैं। कभी-कभी, वे अपने स्थानीय संपर्कों से जंगलों में भोजन मंगवाते हैं। इससे खुफिया जानकारी मिलती है और सुरक्षा बलों को उन्हें घेरने का मौका मिलता है। लेकिन ये आतंकवादी बहुत सावधानी से काम कर रहे है।

सूत्रों का कहना है कि, ‘हमें एक घटना के बारे में पता चला है जहां वे रात के खाने के समय एक गांव में गए, एक घर में घुसे और खाना लेकर भाग गए। जब तक सुरक्षा बलों को सूचना मिली और वे वहां पहुंचे, तब तक काफी समय बीत चुका था और आतंकवादी भाग चुके थे।

आतंकियों के दक्षिण कश्मीर में छिपे होने की आशंका

सूत्रों ने बताया कि एक और चुनौती यह है कि किश्तवाड़ रेंज में इस मौसम में कम बर्फबारी हुई है, जो पहलगाम के ऊपरी इलाकों से जुड़ी है। अधिकारी ने कहा, इससे आतंकवादियों को जम्मू की ओर जाने का विकल्प मिल जाता है, जहां जंगल घने हो सकते हैं और इलाके से गुजरना मुश्किल हो सकता है। वे किश्तवाड़ रेंज का इस्तेमाल इधर-उधर जाने के लिए कर रहे हैं, लेकिन अभी तक हमारा मानना है कि वे अभी भी दक्षिण कश्मीर में हैं।

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