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सुभाषचंद्र बोस जयंती: दो बार आगरा आए थे नेताजी, युवाओं ने खून से ‘जय हिंद’ लिखकर दिया था समर्थन

आगरा: आज 23 जनवरी यानी नेताजी सुभाष चंद्र बोस की जयंती है. नेताजी का ताजनगरी आगरा से गहरा नाता था. नेताजी के संपर्क में आगरा के कांग्रेसी नेता, युवा और छात्र नेता थे. भले ही नेताजी आगरा पहली बार 1938 और दूसरी बार सन 1940 में आए. लेकिन आगरा के छात्र नेताओं से उनका संवाद लगातार जारी था. आगरा के छात्र नेताओं को नेताजी पत्र लिखते थे.

मंजूलता शुक्ला

    1940 में विशाल जनसभा की थीः इतिहासकार राजकिशोर राजे ने बताया कि आगरा के मोतीगंज मैदान पर नेताजी की सन 1940 में एक विशाल सभा हुई थी, जो इतिहास में दर्ज है. नेताजी जी ने विशाल सभा में ब्रिटिश हुकूमत पर जुबानी हमला बोला था. नेताजी ने युवाओं में आजादी के अभियान में शामिल होने की अपील की और उनमें जोश भरा था. विशाल सभा के बाद आगरा में देश भक्ति और आजादी की लड़ाई का माहौल बना गया था.

  गांधी की वजह से दिया था कांग्रेस अध्यक्ष पद से इस्तीफाः इतिहासकार राजकिशोर ‘राजे’ बताते हैं कि देश में जब आजादी की लड़ाई शुरू हुई तो ब्रिटिश हुकूमत को खदेड़ने के लिए दो गुट काम कर रहे थे. एक गुट नरम दल और दूसरा गुट गरम दल था. नरम दल गांधीजी के नेतृत्व में आजादी की लड़ाई लड़ रहा था. जबकि गरम दल के लीडर नेताजी सुभाष चंद्र बोस थे.

दोनों के अपने अपने दावे और रणनीति थी. लेकिन सन् 1939 में कांग्रेस के अध्यक्ष पद के लिए चुनाव हुआ तो नरम दल और गरम दल के नेताओं की अनबन सामने आई थी. क्योंकि, कांग्रेस अध्यक्ष के चुनाव में महात्मा गांधी ने सीतारमैया को समर्थन दिया था. फिर भी नेताजी सुभाषचंद्र बोस ने सीतारमैया को 233 मतों से हराया. जब नेताजी कांग्रेस के अध्यक्ष बने तो गांधीजी ने इसे अपनी व्यक्तिगत हार बताया. जिसके चलते ही अप्रैल 1939 में नेताजी ने कांग्रेस के अध्यक्ष पद से इस्तीफा दिया था.

       छात्र नेता को लिखते थे पत्र, भेजते थे जबावी डाक टिकटः राजकिशोर ‘राजे’ बताते हैं कि नेताजी के आगरा यूनिवर्सिटी के छात्रसंघ अध्यक्ष ओमप्रकाश शर्मा से अच्छे संबंध थे. नेताजी ने आगरा आने से पहले ओम प्रकाश को तब एक पत्र लिखा था. जिसमें आगरा आने की बात लिखी थी. पत्र में नेता

जी ने आगरा में मिलने की बात लिखी थी.

नेताजी ने ये पत्र चलती ट्रेन में लिखा था. इसके साथ ही नेताजी ने छात्रनेता को पत्र भेजने के साथ ही जबावी डाक टिकट भी भेजा था. जिससे छात्र नेता भी उनके पत्र का जबाव दे सकें. आगरा आने पर उन्होंने छात्र नेता से मुलाकात की थी. जिसमें उन्होंने उन्हें छात्रों को आजादी की लड़ाई में शामिल होने और सशस्त्र संघर्ष की अपील की थी. जिससे ही आगरा में छात्र और छात्र नेताओं में अपनी गतिविधि गुप्त और तेज कर दी थी.

आगरा में दो बार आए नेताजीः रा

जकिशोर ‘राजे’ बताते हैं कि नेताजी दो बार आगरा आए. सबसे पहले नेताजी सन 1938 में आगरा आए. तब नेताजी के रुकने की व्यवस्था लोहामंडी खातीपाड़ा स्थित कांग्रेस नेता रतनलाल जैन के आवास पर हुई थी. नेताजी दूसरी बार आगरा में कांग्रेस के अध्यक्ष पद से इस्तीफा देने के बाद 1940 में आगरा आए. कांग्रेस से इस्तीफा देने के बाद नेताजी ने ऑल इंडिया फारवर्ड ब्लॉक पार्टी बनाई थी. नेताजी अपनी विचारधारा और ऑल इंडिया फारवर्ड ब्लॉक पार्टी के बारे में आगरा के लोगों को बताने आए थे. दूसरी बार भी नेताजी के प्रवास का इंतजाम रतनलाल जैन के आवास पर हुआ था. इस बार नेताजी के साथ ही कई और क्रांतिकारी आए थे. आगरा में नेताजी ने क्रांतिकारियों के साथ ही कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं और छात्र नेताओं के साथ गुप्त बैठक की थी. क्योंकि, गरम दल का नेता होने की वजह से नेताजी से जो भी व्यक्ति मिलता था. ब्रिटिश हुकूमत उस पर नजरने लगती थी. उससे पूछताछ तक करती थी. नेताजी के साथ हुई बैठकों में बौहरे गौरीशंकर गर्ग, हार्डी बम कांड के वासुदेव गुप्त, रोशनलाल करुणेश समेत अन्य क्रांतिकारी शामिल हुए थे.

      युवाओं ने खून से ‘जय हिंद’ लिखकर नेताजी को दिया थाः वरिष्ठ इतिहासकार बताते हैं कि सन 1940 में आगरा की जनसंख्या करीब डेढ लाख होगी. उस समय जब नेताजी की विशाल सभा यमुना किनारे स्थित मोतीगंज चुंगी मैदान में हुई तो दस हजार से अधिक की भीड़ जुटी थी. जब नेताजी विशाल सभा के मंच पर आए तो आजादी नारों से पूरा सभा स्थल गूंज उठा था. नेताजी ने लोगों से पूछा था कि जो आजादी चाहते हैं वो अपना हाथ उठाएं. नेताजी की एक आवाज पर विशाल सभा में हाथ ही हाथ नजर आने लगे. जिस पर नेताजी बोले कि युवा देश को गुलामी की जंजीरोंं से मुक्त कराने को आगे आएं. उन्होंने कहा कि युवा देश आजाद करना चाहते हैं, वे अपने खून से लिखकर मुझे दें. जिस पर जोशीले युवाओं ने अपने खून से कागज पर ‘जय हिंद’ लिख दिया था. युवाओं ने वंदे मातरम लिखा था. हर ओर भारत माता की जय और सुभाष चंद्र बोस की जय के जयकारे गूंज रहे थे. 

         सशस्त्र संघर्ष अपील की थीः ‘राजे’ बताते हैं कि मोतीगंज चुंगी मैदान की सभा में नेताजी ने कहा कि अंग्रेजी हुकूमत इस समय विश्व युद्ध में उलझी है. अंग्रेजी हुकूमत पर हमला बोलना का ये सही समय है. जो देश और हमारे हित में है. नेताजी ने मंच से छात्रों से अपील की थी कि कॉलेज छोड़कर आजादी के आंदोलन में शामिल हों. युवा और छात्र सशस्त्र संघर्ष करने को तैयार रहें. नेताजी की अपील से सभा में भारत माता के जय के जयकारे गूंजने लगे. नेताजी ने सभी लोगों से अपना नारा ‘तुम मुझे खून दो, मैं तुम्हें आजादी दूंगा‘ दोहराया था.

 (लेखिका यूपी जागरण डॉट कॉम (upjagran.com , A Largest web news channel of Incredible BHARAT)की विशेष संवाददाता एवं राष्ट्रीय विचारक हैं )

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