अवैध कब्जों से बढ़ा कुतुबखाना बाजारः जहां सिटी बसें दौड़ती थीं, वहां अब बाइक चलाना मुश्किल

नावल्टी से कुतुबखाना तक ही अब पांच सौ से ज्यादा अस्थाई कब्जे
रुपाली सक्सेना-बरेली। कुतुबखाना की जिन सड़कों पर मोटर साइकिल लेकर गुजरना भारी पड़ जाता है, उन पर किसी समय रोडवेज की सिटी बसें दौड़ती थीं। कुतुबखाना के ही मोती पार्क पर इन बसों का स्टैंड था जहां से चलने वाली बसें अस्पताल रोड, कुमार सिनेमा और पटेल चौक होते हुए जंक्शन और सदर बाजार तक पहुंचती थीं। सियासी सरपरस्ती में अवैध कब्जे बढ़ने शुरू हुए तो ये सड़कें इतनी ज्यादा सिकुड़ गईं कि इस पूरे इलाके में जाम की समस्या विकराल हो गई।
कुतुबखाना में फ्लाईओवर का दुकानदारों की ओर से प्रखर विरोध और अवैध कब्जों पर कमजोर स्वीकारोक्ति सारी कहानी खुद बयान कर रही है। जाहिर है कि कुतुबखाना में जाम की वजह से तंग सड़क तो बिल्कुल नहीं है।
कुतुबखाना की ही तरह चार साल पहले श्यामगंज में फ्लाईओवर बनाने का भी जोरदार विरोध हुआ था पर अब फ्लाईओवर बनने के बाद हालात काफी हद तक बदल गए हैं। कुतुबखाना फ्लाईओवर निर्माण की योजना करीब सवा साल पहले बननी शुरू हुई तभी से उसके विरोध की भी शुरुआत हो गई थी लेकिन इस बीच एक बार भी जाम की समस्या के किसी दूसरे हल के बारे में नहीं सोचा गया। अब जरूर दुकानदार खुद अवैध कब्जे हटाने की बात कर रहे हैं लेकिन इसमें कितना दम है, यह इसी से साबित हो गया कि कई दिन कब्जे हटाने के दावों के बावजूद शनिवार तक कुतुबखाना इलाके में एक भी अवैध कब्जा नहीं हटा।
वसूली का फंडा इसीलिए कब्जा करने वालों पर नहीं चलता डंडा
नावल्टी से कुतुबखाना और कोहाड़ापीर तक सड़क पर ठेलों और फड़ों की की भरमार है। सिर्फ कुतुबखाना चौराहे तक ही पांच सौ से ज्यादा अस्थाई कब्जे हैं जिनकी एवज में नियमित तौर पर वसूली होती है। कहा जाता है कि वसूली की रकम का कई लोगों के बीच बंटवारा होता है। इसी कारण जब भी अवैध कब्जे हटाने की बात आती है तो कोई एकराय नहीं बन पाती। शनिवार दोपहर मेयर उमेश गौतम के पीछे नगर निगम का दस्ता अतिक्रमणकारियों को खदेड़ने निकला तो पता चला कि तमाम दुकानदार खुद अपने सामने ठेला-फड़ लगवाते हैं और उनसे इसके बदले पांच से दो हजार रुपये तक वसूलते हैं। कुछ जगह अवैध कब्जे कराने में व्यापारी नेता तो कुछ जगह दबंगों का भी हाथ मिला।
सिर्फ हां कहने भर से काम नहीं चलेगा, पुल नहीं चाहिए तो हटाने ही पड़ेंगे अवैध कब्जे
मेयर उमेश गौतम कहते हैं कि वह व्यापारियों के पक्ष में इस शर्त पर आए हैं कि नावल्टी से कुतुबखाना और कोहाड़ापीर तक बाजार को अतिक्रमणमुक्त किया जाएगा ताकि यातायात सुगम हो जाए और पुल की जरूरत ही न रहे। अभी यहां जो स्थिति है, सड़क पर दोपहिया वाहन निकलना तक मुश्किल है। कुछ जगह तो पैदल चलने में भी दिक्कत होती है। तमाम व्यापारियों और संगठनों ने नावल्टी से कुतुबखाना तक अतिक्रमण साफ कराने की हामी भरी थी लेकिन इसकी असलियत शनिवार को सामने आई जब नगर निगम के दस्ते ने बड़े पैमाने पर सड़क पर रखा सामान जब्त किया। उधर, कुछ व्यापारियों का कहना है कि मुख्य मार्ग और बाजार से स्थाई तौर पर कब्जे हटना मुश्किल है क्योंकि यहां किसी न किसी की सरपरस्ती में अवैध कब्जे किए गए हैं।
25 साल पहले तक रोडवेज का कार्यालय था, अब पुलिस चौकी
करीब 25 साल पहले नावल्टी से कुतुबखाना तक ऐसी हालत नहीं थी जो आज है। कुुतुबखाना मोतीपार्क से रोडवेज की जंक्शन, सदर कैंट, सेंथल समेत कई रूट पर सिटी बसें चलती थीं। सिटी बसों का संचालन बंद होने के बाद पुलिस ने रोडवेज बुकिंग कार्यालय में ही अपनी चौकी बना दी। हालांकि इसके बाद भी कुतुबखाना में ऑटो और टेंपो का संचालन होता रहा। धीरे-धीरे स्थाई-अस्थाई कब्जे बढ़ने के साथ इंदिरा बाजार भी बस गया। कई बार यह बाजार मिशन नाला और कुमार सिनेमा पर भी शिफ्ट हुआ। सरकारों के बदलने के साथ अवैध कब्जों के पैरोकार भी बदलते रहे। आखिरकार कुतुबखाना में चलना तक मुश्किल हो गया।
कोहाड़ापीर पर भी था एक बस स्टेशन
रोडवेज 1992 में कोहाड़ापीर से बहेड़ी और नवाबगंज मार्ग पर बसें चलाता था। महानगर बस सेवा योजना आने के बाद रोडवेज ने अपनी सेवाएं बंद कर दीं। बरेली समेत विभिन्न शहरों में महानगर बस सेवा शुरू करने के परमिट निजी संचालकों को दिए गए लेकिन बरेली शहर में एक भी आपरेटर सामने नहीं आया। फरीदपुर मार्ग पर अमर उजाला कार्यालय के सामने और रामपुर मार्ग पर किला से शाही, फतेहगंज, शीशगढ़, शेरगढ़ आदि कस्बों के लिए बसें चलती रहीं हैं। धीरे-धीरे ये तीनों स्टेशन बंद हो गए।
सड़क पर दोनों तरफ अतिक्रमण से जाम लगा रहता है। तमाम व्यापारियों और उनके नेताओं ने भरोसा दिलाया है कि दुकानों के बाहर सामान नहीं रखा जाएगा, ठेले-फड़ भी नहीं लगेंगे। हम खुद व्यापारियों से आग्रह करने बाजार जा रहे हैं। लोगों ने बताया कि कुछ दुकानदार खुद ही अस्थाई अतिक्रमण कराते हैं। अब सड़कों पर रखा सामान नगर निगम जब्त करेगा। जन सहयोग जरूरी है वर्ना यहां पुल बनाना ही विकल्प होगा।- डॉ. उमेश गौतम, मेयर