छठे चरण में होने वाले चुनाव के इलाके में भगवा टोली के खास चेहरे और पूर्वांचल में सियासी ध्रुवीकरण के प्रतीक महंत आदित्यनाथ हैं, तो वह आजमगढ़ भी है जो लोकसभा चुनाव के दौरान मुद्दा बना था।
सपा की तरफ से ही नहीं बल्कि बसपा ने भी दिल्ली के बटला हाउस एनकाउंटर को मुद्दा बनाकर वोटों के ध्रुवीकरण की कोशिश की थी। कांग्रेस के साथ भाजपा को भी निशाना बनाया था। जवाब में भाजपा ने भी आतंकी कनेक्शन को मुद्दा बनाने में कोई कोर-कसर नहीं छोड़ी थी।
इस चुनाव में भले ही आतंकी कनेक्शन की चर्चा बहुत ज्यादा न सुनाई दे रही हो, लेकिन आदित्यनाथ सहित भाजपा के कई नेता बीच-बीच में इस मामले को धार देते रहे हैं। यहां यह बात भी गौर करने वाली है कि आजमगढ़ सपा के संरक्षक मुलायम सिंह यादव की संसदीय सीट है तो बगल का मऊ मुख्तार जैसे चेहरे के प्रभाव वाला इलाका है।
अब तक यही माना जाता रहा है कि इस इलाके में मुख्तार की सियासी हैसियत बनाने के पीछे भी वोटों का ध्रुवीकरण ही बड़ी वजह रही है तो मोदी लहर में आजमगढ़ में मुलायम की जीत के पीछे भी यादव व मुस्लिम वोटों की गोलबंदी ही बड़ा कारण रहा है।