सुलतानपुर, [अवधेश सिंह]। तमाम स्थापत्य कला का गवाह यह जिला एक बार फिर चर्चा में है। कुड़वार का गढ़ा, लम्भुआ का धोपाप, कूरेभार का इटियहवा और दियरा के बाद अब गोमती नदी के किनारे बसे बल्दीराय तहसील के उमरा ग्राम पंचायत का जवाहर तिवारी का पुरवा गांव को लेकर एक नई बहस शुरू हो गई है। पुरातत्व विभाग के दो शोधार्थियों की रिपोर्ट में छठवी-सातवीं सदी में मानव बस्ती के प्रमाण मिले है। खोदाई के दौरान मिले पुरातन अवशेष ईंट के टुकड़े, मिट्टी बर्तन और जानवरों के कंकाल इस प्रमाणिकता पर मोहर लगा रहे है। सच्चाई से पर्दा उठाने के लिए पुरातत्व विभाग को प्रोफेसर ने पत्र भेजकर तकनीकी जांच कराने का आग्रह किया है।

नोएडा एमिटी यूनिवर्सिटी के बीए आनर्स के छात्र कार्तिक मणि त्रिपाठी बीते 20 फरवरी माह में अपने गांव जवाहर तिवारी का पुरवा आए। इस दौरान वह गांव के उत्तर तरफ गए जहां पूर्वांचल एक्सप्रेस वे निर्माण के लिए मिट्टी की खोदाई हो रही थी। उन्होंने देखा कि ट्रकों में मिट्टी के बर्तनों के टुकड़े, ईंट आदि भी भरा था। वह जब वहां गए तो उन्हें मिट्टी के मटके, बर्तन व जानवरों की हाडियां मिली। इसके बारे में अपने बाबा सूर्य प्रकाश त्रिपाठी से पूछा तो उन्होंने बताया कि पूर्वज इसे इटहवा टीला कहते है, यहां सदियों पहले लोग रहते थे। वापस आने के बाद कार्तिक ने इसकी फोटोग्राफ व जानकारी दिल्ली विश्वविद्यालय में मनुष्य जाति विज्ञान के प्रोफेसर मनोज कुमार सिंह को मेल भेजा।
प्रोफेसर ने पुरातत्व विषय के दो शोधकर्ता सुदेशना बिस्वास व रविंदर को गांव भेजा। तीन मार्च को दो शोधकर्ता कार्तिक के साथ गांव पहुंच वहां की जांच पड़ताल के बाद अवशेष को एकत्र किया। परीक्षण के दौरान खोदाई के बीस फीट नीचे जली हुई राख के साथ जला हुआ गेहूं, सरसों मिला।
शोधकर्ता रविंद्र ने बताया कि जो ईंट की आकार मिली है वह काफी बड़ी और भारी थी। उन्होंने बताया कि इसका इस्तेमाल रहने और खाने-पीने की चीजों का संरक्षित करने के लिए किया जाता रहा होगा। उन्होंने बताया कि पुरातत्व विभाग के वरिष्ठ अधिकारी अनुसार जो अवशेष मिले है उससे अनुमान लगाया जा सकता है कि वह गौतम बुध कालीन या उससे भी पुराने हो सकते है।
पुरातत्व विभाग को भेजा गया पत्र : दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रोफेसर ने भारतीय पुरातत्व विभाग को पत्र लिखकर स्थल का निरीक्षण, मिले अवशेष का परीक्षण और स्थल को संरक्षित करने का आग्रह किया है।उन्होंने कहा कि अगर स्थलीय जांच कराई गई तो और भी कुछ पुराने प्रमाण मिल सकेंगे।
ग्रामीणों ने एक किमी परिधि में खोदाई पर लगाई रोक : कार्तिक और शोधकर्ताओं की अपील पर ग्रामीणों ने इटहवा की एक किमी परिधि में मिट्टी की खोदाई पर रोक लगाई है। हालांकि अभी तक पुरातत्व विभाग की ओर से इसे संरक्षित करने की कोई पहल नहीं की गई है। उमरा गांव निवासी राम किशोर व रामउजागिर ने बताया कि पुराने लोग बताते थे कि यहां पहले गांव हुआ करता था और लोग रहते थे। ईंट व बर्तन उसी समय के है।