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भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी …जन्मदिन विशेष 

दूरदृष्टा,योगसाधक एवं तेजस्वी, स्वाभिमानी दृढ़ संकल्पशील व्यक्तित्व!प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्रमोदी 
       राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के तपोनिष्ठ, निरंतर कर्मयोग व राष्ट्रचिंतन के अग्रणी नायक भारत के प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र जी मोदी का आज जन्मदिन है,,,, तब मन  चिंतनशील हो जाता  है कि इनमें आध्यात्म योगी विवेकानंद जैसा बौद्धिक  सामर्थ्य, शिवाजी जैसी लड़ाकू क्षमता व जयप्रकाश नारायण जैसी विपक्षीयों से लोहा लेने की विरल क्षमता क्या भारतवर्ष के आगामी समय में  नवीन इतिहास का निर्माण करने जा रही है ! 
अरुण सिंह (संपादक)

 बेशक,  राष्ट्र के महत्वपूर्ण नियमों, बढ़ते कदमों में देश को सही दिशा दिखाने में श्री मोदी ने अपना समय  व निष्ठावान कर्मयोग दिया है।

       देश की भौगोलिक स्थिति को समझते हुए इस विशाल देश की विभिन्न प्रकार की संस्कृति में रहने वाले लोगों को एक सूत्र में पिरोकर सबल बनने का, उनके  सामाजिक आर्थिक व वैयक्तिक विकास का मौका सबका साथ सबका विकास के नारे के साथ  दिया है।  तीन तलाक, जैसे संवेदनशील मुद्दे को छूकर व संसद में इसे पारित करवाकर मुस्लिम महिलाओं को गुलामी की मानसिकता से निजात दिलायी है। वहीं कश्मीर  की  विशेष दर्जा प्राप्त धारा  370 को खत्म करवाकर वहां  के लोगों को राष्ट्र की मुख्य धारा से जोड़ा है, समान रूप से हजारों लोग आज रोजगार व समान अधिकार के रूप में कश्मीर में अपना स्वतंत्र जीवन जीकर अपने  आपको गौरवान्वित महसूस कर रहे हैं।  वहां स्वप्न लोक में विचरण करते हुए कश्मीर के कतिपय अलगावपरस्त लोगों की चूलें हिला दी है।
    अयोध्या के विवादास्पद मामले का पटाक्षेप व राम मंदिर का भूमि पूजन कर वे भारत के एकीकरण के नायक सरदार वल्लभभाई पटेल के प्रतिरूप में भारत की जनता के सिरमौर बने हुए  हैं। आतंकवादी घटनाएं, ऊपरी स्तर के भ्रष्टाचार , ड्रग्स माफिया व राष्ट्र के साथ छल करने वालों की अब हर तरह से अंतिम साँसें चल रही हैं ।
         जिन मुद्दों को आज से दो दशक पूर्व असंभव माना जा रहा था,,, वह संभव होकर आज विश्व राजनीति में भारत का नाम सम्मान की दृष्टि से लिया जाता है,,,,,।   सामरिक स्थिति में चीन को आँखें दिखाते हुए भारतीय योद्धा जब सीमा पर चीनी सैनिकों को पिछे धकेलते हैं, तब जो सैनिकों का जोश ,उत्साह होता है वह नरेन्द्र भाई मोदी के रूप में दिखता है । वहीं अंतरराष्ट्रीय राजनीति में कुटनीतिक प्रबंधों के जरिए शत्रुदेशो को महाशक्तियों से अलग थलग रखने के साथ अंतराष्ट्रीय संबंधों में भारत के मान सम्मान को  हम कहीं भी कमतर नहीं देख सके हैं ।  यूक्रेन संघर्ष में सेकडों भारतीयों की सकुशल घर वापसी मोदी जी के नेतृत्व की व्यक्तिगत सफलता है ।
    2014 से असंभव कार्यो को करते हुए अन्तरराष्ट्रीय मुद्राकोष, यूएनओ, अंतराष्ट्रीय संबंध,  विश्व बाजार,  उदारीकरण में नरेन्द्र मोदी जी ने विभिन्न सम्मेलनों में व विदेशों में जाकर अपनी तकरीरों से भारत के पक्ष को रखते हुए भारतीय संविधान की आत्मा को विस्तार दिया है, जिसमें  वसुधैवकुटुम्बकमजीयो और जीने दो के लक्ष्य पर चलते हुए भारत के सनातन पक्ष की पैरवी की है । साथ ही हम सभी हमारे प्रधानमंत्री के स्वप्न “स्वावलंबी भारत” को साकार करने में जुटे हैं।
      वडानगर (गुजरात) में 17 सितम्बर 1950 मे जन्मे  श्री मोदी जी नौ वर्ष की उम्र में ही संघ के राष्ट्रवादी प्रकल्प में तैयार होकर हर तरह के बौद्धिक वर्ग में सम्मिलित रहते हुए वरिष्ठ नेताओं के सारथी बन स्वयं भारत के सरताज हो गये । ये उनके कठिन परिश्रम व सतत लगे रहने व राष्ट्र के प्रति गहन सकारात्मक सोच का संभव परिणाम है ।  1992 के राम मंदिर शीलापूजन के दौर की यात्राओं व तत्कालीन राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री मुरलीमनोहर जोशी के साथ ‘कश्मीर चलो’ की एकता यात्रा के समय श्रीनगर के लालचौक में भारतीय तिरंगा फहराने के मिशन के प्रमुख  नायक  बनने वाले  श्री मोदी जी का भाषण जब हम लोगों ने सुना था, तब यह लगता था कि यह कर्मवीर मानव, राष्ट्रदेवी व मातृभूमि के लिए कभी भी अपनी जान की परवाह नहीं करता है ।
       यह वह दौर था , जहां आतंकी  किसी राष्ट्रवादी  या अपनी कौम से दीगर  को उस क्षेत्र में घुसने नही देते थे । उससमय वहां राष्ट्रगान के साथ तिरंगा फहराने का लक्ष्य स्वतंत्र भारत की सबसे बड़ी चुनौती बना , जो  देश के लिए चिंतनीय था ।  गुजरात विधानसभा के हर चुनाव में मणीनगर विधानसभा सीट का नाम  चलता , तब वे ही उम्मीदवार बनकर हजारों वोटों की जीत के साथ गुजरात के मुख्यमंत्री के रूप में गुजरातवासियों के ही नहीं,अपितु देश के  लोकप्रिय लीडर में अपना नाम लिखा जाते हैं । तब हम सभी का खुशगवार , प्रसन्न होना स्वाभाविक लगता है ।
       गुजरात के विकास में 2001 से मुख्यमंत्री के रूप में स्थापित श्री नरेन्द्र मोदी ने हर चुनाव के बाद स्वयं को सशक्त बनाया,,, भूंज के विनाशकारी भूकंप का आपदा प्रबंधन जहां उनकी कुशल नैतृत्वक्षमता का सूचक था वहीं,,, बिजली परियोजना में गुजरात के ग्रामीण क्षैत्रो तक उर्जा की पहुंच देकर पूरे भारत में गुजरात माडल की चर्चा एकदम बढ़ती गयी । नर्मदा के जल को भूज, कच्छ तक के दूरस्थ  क्षेत्र में पहुंचाने वाली पेयजल व सिंचाई परियोजना से गुजरात भारतीय राज्यों में आदर्श स्थान बना है और यही वह नैतृत्वक्षमता उन्हें राष्ट्रीय राजनीति की ओर खींचना चाहती थी ।
        भारतीय राजनीति में प्रधानमंत्री बनने के बाद दार्शनिक अंदाज में बोले जाने वाले हर वक्तव्य से  भारत ही नहीं, विश्व में हर किसी को वे अपना मुरीद बना लेते हैं ।  शासन- प्रशासन में अपने परिवारजन व किसी करीबी से दूर तक नाता न रखकर अपने सगे-संबंधियों से दूर रहना व लेशमात्र का भी दाग न होना,  यह कोई सामान्य बात नही है ।
    नरेन्द्र मोदी नाम के राजनीतिक व्यक्तित्व की ईमानदारी, सहजता, सरलता, कड़े प्रशासन की बात को लिपिबद्ध करना चाहें तो शब्द का दारिद्रय  महसूस होता है , क्योंकि यह बिरला व्यक्तित्व जो ठान लेता है उसे पूरा करना व उससे आमजन को रूबरू कराना भी आवश्यक समझता है।
    आम जनता यह अपेक्षा करती है कि सार्वजनिक जीवन में कुछ कमियाँ , व्याप्त भ्रष्टाचार, निचले स्तर की अकर्मण्यता पर नकेल कसते हुए स्वच्छ प्रशासन की बुनियाद में आम नागरिकों की पीड़ा को समझने वाला प्रशासन सहज मुहैय्या हो जाए। बदले में आम नागरिक भी अपने कर्तव्यों का सही उपयोग करने लग जाए।   देखा जा रहा है कि सभी लोग प्रधानमंत्री  की ईमानदारी, कर्तव्यपरायणता की डींगे भरते हैं पर वे स्वयं समर्थ होकर भी मोदी जी जैसा आदर्श  नहीं बनना चाहते ।
       जिससे प्रशासन की बुराइयाँ व व्यवस्था में बदलाव संभव  नहीं होता है। जिस लक्ष्य को शायद मोदी जी व उनकी विचारधारा के लोग लेकर चले थे,,,, कहीं वे दिग्भ्रमित न हों ,,, यह संकोच मन में बना रहता है । युथ वर्ग की बेरोजगारी,हताशा  व राज्यो मे नौकरियो की बंदिशे, उनके प्रभाव को कमतर कर रही हैं । फिर भी लंबित समस्याओं को कम समय में किनारे लगा देने या समाप्त करने से मोदी जी के विजयरथ को कहीं भी विराम लगने की संभावना नजर नहीं आती  ।
    आप सभी  मोदी जी के जन्मदिन पर हर व्यक्ति राष्ट्र के प्रति अपने कर्तव्य का सहज बोध कर चिंतन करे , तो यह सार्थक होगा, ,,,,क्योंकि होर्डिंग बेनर से हम उनके यशस्वी कर्मो का सही अर्थ नही समझ सकेंगे।
अंत में दुष्यंत कुमार की पंक्तियाँ याद आ गईं-
“वो आदमी नहीं है मुकम्मल बयान है 
माथे पे उस के चोट का गहरा निशान है।”
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