कौटिल्य आर्थिक सम्मेलन में वित्त मंत्री ने कहा, युवा जनसंख्या, नवाचार और बढ़ती खपत भारत के भविष्य को आकार देंगे
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि आने वाले दशक में जीवन स्तर में तेज सुधार होगा और यह वास्तव में भारतीयों के लिए जीवन जीने का एक युग होगा। कौटिल्य आर्थिक सम्मेलन के तीसरे संस्करण को संबोधित करते हुए सीतारमण ने कहा कि भारत के युवा लोग, खपत में बढ़त और नवोन्मेष उन ताकतों में हैं, जो भारत के इस युग को आकार देंगे।
वित्त मंत्री ने कहा कि पिछले 10 साल के दौरान की गई आर्थिक व ढांचागत सुधार की कवायदों का असर आने वाले वर्षो में दिखेगा, क्योंकि अर्थव्यवस्था से कोविड-19 वैश्विक महामारी का असर कम हो जाएगा।’
उद्घाटन सत्र में उन्होंने कहा, ‘अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) के अनुमानों के अनुसार हमें 2,730 डॉलर की प्रति व्यक्ति आय तक पहुंचने में 75 साल लगे, लेकिन इसमें 2,000 अमेरिकी डॉलर और जोड़ने में केवल 5 साल लगेंगे।’
सम्मेलन के थीम ‘द इंडियन एरा’के बारे में बात करते हुए वित्त मंत्री ने कहा कि भारत में खपत स्वाभाविक तौर पर आगामी दशकों में बढ़ेगी क्योंकि अभी 43 फीसदी आबादी 24 साल से कम उम्र की है, जिसके खपत व्यवहार का अभी पूरी तरह से दोहन होना है। उन्होंने कहा कि यह सुनिश्चित करना कि भारत के युवा संज्ञानात्मक रूप से सक्षम, भावनात्मक रूप से मजबूत और शारीरिक रूप से दुरुस्त हो, हमारी प्रमुख नीतिगत प्राथमिकता है।
भारत के युग को आकार देने में वित्त मंत्री ने बढ़ते मध्यवर्ग की भूमिका का उल्लेख करते हुए कहा कि यह अधिक खपत, विदेशी निवेश की आवक और गतिशील बाजार की राह प्रशस्त करेगा। उन्होंने कहा कि भारत की नवोन्मेष की क्षमता परिपक्व होगी और आने वाले दशकों में इसमें सुधार होगा।
भारत की वित्तीय व्यवस्था की सराहना करते हुए वित्त मंत्री ने कहा कि भारत के वित्तीय बाजार ने एक सक्षम व्यवस्था विकसित की है, जिसका संकट प्रबंधन, नियामकीय और प्रशासनिक मानक विकसित बाजारों की तरह है।
सीतारमण ने कहा कि वैश्विक भू-राजनीतिक बदलाव भारत के लिए फायदे के हिसाब से संरचनात्मक ताकत के रूप में काम कर सकता है और इससे रणनीतिक सामंजस्य वाले देशों के साथ मजबूत आपूर्ति श्रृंखला विकसित हो सकती है।
उन्होंने कहा, ‘भारत को नई अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था से लाभ होगा, जो आज की दुनिया की शक्ति के वितरण को बेहतर ढंग से प्रतिबिंबित करने के लिए खुद को बदल रही है।’
सीतारमण ने कहा कि भारत वैश्विक चुनौतियों के बावजूद अपनी 1.4 अरब की आबादी (जो वैश्विक कुल का 18 फीसदी है) के लिए कुछ वर्षों में प्रति व्यक्ति आय को दोगुना करने का प्रयास करेगा। मंत्री ने कहा कि विकसित भारत विचारों, प्रौद्योगिकी तथा संस्कृति के जीवंत आदान-प्रदान का केंद्र बनकर न केवल भारतीयों के लिए बल्कि शेष विश्व के लिए भी समृद्धि लाएगा।
वित्त मंत्री ने कहा कि 2000 दशक के शुरुआत में चीन जैसे उभरते बाजार तुलनात्मक रूप से ज्यादा आसानी से बढ़े क्योंकि अनुकूल वैश्विक व्यापार और निवेश का वातावरण था। यह भारत के लिए चुनौती और अवसर दोनों है।
उन्होंने कहा कि 2047 में जब भारत स्वतंत्रता के 100 साल पूरे करेगा, भारत का नया काल शुरू होगा, जिसमें विकसित देशों जैसी स्थितियां होंगी। वित्त मंत्री ने कहा कि विकसित भारत से न सिर्फ भारतीयों में संपन्नता आएगी, बल्कि विचारों, प्रौद्योगिकी और संस्कृति के आदान प्रदान से शेष विश्व के लिए भी यह समृद्धि लाएगा।