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परमार्थ करने वाले पथिक की ही गायी जाती है कीर्ति : प्रेमभूषण महाराज

ज्ञान प्रकाश सिंह जैसे धर्मार्थी के बुलावे पर मैं जौनपुर आया
अपना लोक-परलोक दोनों सुधार सकता है मनुष्य
     जौनपुर। बीआरपी इण्टर कॉलेज के मैदान में भाजपा के वरिष्ठ नेता एवं समाजसेवी ज्ञान प्रकाश सिंह के पावन संकल्प से प्रायोजित सात दिवसीय रामकथा के पहले दिन अंतरराष्ट्रीय कथावाचक प्रेमभूषण जी महाराज ने कहा कि जगत के हर जीव में भगवान का वास है लेकिन मनुष्य नामक प्राणी को जो भी शरीर प्राप्त है वह अपने आप में अद्भुत है। इस शरीर के माध्यम से मनुष्य अपना लोक और परलोक दोनों ही सुधार सकता है किसी अन्य जीव के लिए यह संभव नहीं है। मनुष्य को छोड़ बाकी के 84 लाख योनियों को भोग योनी कहा गया है।
        इनके लिए अपने कर्म का कोई बंधन नहीं होता है लेकिन मनुष्य जो भी कर्म करता है वह उसी के फल से जीवन भर प्रभावित रहता है। कथा शुरू करने से पहले उन्होंने कहा कि जौनपुर का यह सौभाग्य है कि ज्ञान प्रकाश सिंह जैसा धर्मार्थी और परमार्थ करने वाले व्यक्ति के बुलावे पर मैं पहली बार जौनपुर में रामकथा सुनाने के लिए आया हूं। महाराज जी ने अपने मुखारबिंदु से वरिष्ठ भाजपा नेता ज्ञान प्रकाश सिंह की प्रशंसा की। जौनपुरवासियों का सौभाग्य है कि इस तरह की रामकथा सुनने को मिल रही है। उन्होंने यह भी कहा कि रामकथा को जिस रूप में श्रवण करेंगे उसी रूप में आपको उसका सफल मिलेगा।
       उन्होंने कहा कि मनुष्य अपने जीवन में छीन झपट करके चाहे जितना पूंजी इकट्ठा कर ले संसार की कोई वस्तु उसके साथ नहीं जाती है केवल परमार्थ, सत्कर्म और पुण्य ही साथ जाता है। परमार्थ यात्रा के पथिक की ही कीर्ति गायी जाती है। महाराज जी ने कहा कि सतमार्ग पर चलकर धन अर्जित करने वाले लोग ही शाश्वत सुख की प्राप्ति कर पाते है। छल प्रपंच से धन अर्जित किया जा सकता है लेकिन उससे सुख की प्राप्ति कदापि संभव नहीं है। अधर्म के पथ पर चलकर धन अर्जित करने वाले जीवन में कभी सुखी नहीं हो सकते है। दूसरों को वो दूर से सुखी दिखते हैं लेकिन वास्तव में वो सुखी नहीं होते है। अगर उनके दिल का हाल जाना जाए तो पता चलता है कि उनकी दुख की कोई सीमा नहीं है।
उन्होंने कहा कि अगर हमारे घर में जीवित माता-पिता है तो वहीं हमारे भगवान हैं।
      माता-पिता की सेवा करके वो हम सब प्राप्त कर सकते हैं जो हम भगवान से चाहते हैं। रामचरित मानस में यह बताया गया है कि माता-पिता, गुरु और अपने से बड़ों की आज्ञा मानने वाले सदा ही सुखी रहते हैं। पूज्य महाराज ने कहा कि मनुष्य के जीवन में पूजा-पाठ भजन क्यों आवश्यक है? जब मनुष्य धर्म कार्यों में पूजा-पाठ में संलग्न हो जाता है तो उसके जीवन से भय खासकर मृत्यु का भय बिल्कुल समाप्त हो जाता है क्योंकि वह धीरे-धीरे ईश्वर के निकट पहुंचने लगता है।
पूज्य महाराज जी ने कहा कि भगवान को केवल प्रेम और केवल प्रेम ही प्यारा है।
       बार-बार मानस जी में इसकी चर्चा आयी है। भोले शंकर और सती के प्रसंग को भी उन्होंने बड़े मार्मिक ढंग से चित्रण किया। कहा कि भोले शंकर के मना करने के बाद भी सती राम की परीक्षा लेने के लिए गईं लेकिन जाने के बाद भी जब वापस आयी तो भोले शंकर ने पूछा कि आपने परीक्षा ले लिया तो उन्होंने उनसे झूठ बोला लेकिन भोले शंकर अपने तीसरे नेत्र से सबकुछ पहले ही जान लिए थे वहीं सती का त्याग कर ध्यानमग्न हो गए। पूज्य महाराज ने कहा कि किसी को दर्पण नहीं दिखाना चाहिए दर्पण स्वयं देखना चाहिए। कहा कि संसार में संतोष से बड़ा कोई सुख नहीं है क्योंकि जितना भी आपके पास होगा कम ही नजर आता है। संसार से साथ में कुछ नहीं जाता है सिर्फ परमार्थ और पुण्य ही जाता है।
     यह कार्यक्रम सेवा भारती के बैनर तले चल रहा है।
इस मौके पर काशी प्रांत के प्रांत प्रचारक रमेश, विभाग प्रचारक जौनपुर अजीत, प्रांत प्रचारक प्रमुख रामचंद्र, सेवाभारती के अध्यक्ष डॉ. तेज सिंह, प्रांत शारीरिक प्रमुख संतोष, प्रांत कार्यवाह मुरली पाल, डॉ. वेदप्रकाश, सुरेश, पूर्व डीजीपी राजकुमार विश्वकर्मा, डॉ. तेज सिंह, माउंट लिट्रा जी स्कूल के डायरेक्टर अरविंद सिंह, आयोग के सदस्य डॉ. आरएन त्रिपाठी, डॉ. बीएस उपाध्याय, टीडीपीजी कॉलेज के प्रबंधक राघवेंद्र प्रताप सिंह, वरिष्ठ अधिवक्ता वीरेंद्र सिंह, राजेश सिंह, शिक्षक नेता अमित सिंह सहित अन्य लोग मौजूद रहे।
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