Site icon Uttar Pradesh Jagran

श्रीराम की संस्कृति, संस्कार, आचरण भी हर व्यक्ति के जीवन में आना आवश्यक – डॉ. मोहन भागवत

समाज में अस्पृश्यता का भाव नहीं चाहिए

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत जी ने कहा कि समाज में अच्छे भाव, अच्छी संस्कृति, उत्तम संस्कार, राष्ट्र भक्ति का निर्माण तथा योग्य परिवर्तन करने का कार्य केवल संघ का नहीं है. अपितु, संपूर्ण समाज को आगे आकर इस कार्य को करना अपेक्षित है. ‘तेरा वैभव अमर रहे माँ, हम दिन चार रहें ना रहें’, इस ध्येय के अनुसार हमें भारत एवं संपूर्ण समाज की उत्तम निर्मिति करनी है. संघ का नाम इतिहास में लिखा नहीं गया तो भी चलेगा. लेकिन, संघ कार्य द्वारा समाज में राष्ट्रभक्ति निर्माण होनी ही चाहिए. सरसंघचालक जी शनिवार शाम को धामणगाँव में आयोजित नवोत्थान-२०२४ कार्यक्रम में संबोधित कर रहे थे.

मंच पर प्रांत सह संघचालक श्रीधर गाडगे, अमरावती जिला संघचालक विपिन काकडे, धामणगाँव तहसील संघचालक गजानन पवार तथा चांदूर तालुका संघचालक मनोज मिसाळ उपस्थित रहे.

धामणगाँव रेलवे एवं चांदूर रेलवे तहसील के स्वयंसेवकों तथा नागरिक बंधु-भगिनियों के सम्मुख सरसंघचालक जी ने कहा कि डॉ. आंबेडकर ने समाज में बंधुभाव कायम रहे, ऐसा संविधान हमें दिया है. इसी संविधान के अनुसार हम सभी को भारत माता की संतान के रूप में कार्य करना है.

जिस तरह श्रीराम अयोध्या पधारे हैं, उसी प्रकार श्रीराम की संस्कृति, संस्कार, आचरण भी हर किसी के जीवन में आना आवश्यक है. समाज में अस्पृश्यता का भाव नहीं चाहिए. इतिहास ने अनेक उतार-चढ़ाव देखे, लेकिन हमारी प्राचीन संस्कृति को कभी भी, कोई मिटा नहीं पाया. क्योंकि, कभी-कभी हम आपस में झगड़ा करते भी होंगे, किंतु उल्लेखनीय बात यह है कि जब राष्ट्र का प्रश्न निर्माण होता है, तो हमारा राष्ट्र एक रहे, यही भाव, यही देशभक्ति हमारे भीतर जागृत होती है.

उन्होंने कहा कि भारत पर अनेकों आघात हुए, लेकिन हम सभी ने मिलकर संघर्ष किया और हर आघात से बाहर आए. सच तो यह है कि हम अब ‘स्व’ तंत्र से जीवन यापन सीख चुके हैं. समूचे विश्व को धर्म तथा दिशा देने का कार्य भारत ने किया है. अपनी प्रगति राष्ट्र के एक रहने में है. भारत देश की भक्ति यह भी एक मूल मंत्र है. संस्कार युक्त संस्कृति का जीवन में आचरण यह भी एक मूल मंत्र है. प्रगति करने के लिए एकता चाहिए.

उन्होंने कहा कि हिन्दुत्व का अर्थ, सबकी एक निष्ठ भावना, संस्कार, संस्कृति, विचार तथा देश के प्रति राष्ट्रभक्ति, यही है. हिन्दुत्व का विचार भाषण से नहीं, बल्कि आचरण से बढ़ाने का कार्य राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के आद्य सरसंघचालक डॉ. केशव बलिराम हेडगेवार ने किया तथा संघ की स्थापना की. केवल उपदेश से सब नहीं होता, वैसा व्यवहार तथा आचरण भी आवश्यक है. अपना राष्ट्र बड़ा हो, इस उद्देश्य से राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ लगातार प्रयासरत है. यह कार्य केवल संघ का नहीं, अपितु संपूर्ण समाज को करना चाहिए.

उन्होंने कहा कि आज परिवारों में बालक-पालक संवाद बंद हो चुका है. वह पुनः प्रारंभ होना चाहिए. सबको पर्यावरण की रक्षा का भी संदेश दिया. सभी स्वयंसेवकों को अब अधिक समय देने की आवश्यकता है. प्रवासी एवं दायित्वधारी स्वयंसेवकों को उनसे भी अधिक समय देना चाहिए. जिन्हें संभव हो, वे स्वयंसेवक पूर्ण समय संघ को दें और अन्य स्वयंसेवकों को प्रतिदिन एक घंटे की शाखा में आना आवश्यक है.

कार्यक्रम के आरंभ में बाल घोष का प्रात्यक्षिक एवं व्यायाम योग प्रस्तुतिकरण हुआ. इस अवसर पर नागरिकों के लिए संघ पुस्तक प्रदर्शनी भी आयोजित की गई थी. ‘नवोत्थान २०२४’ कार्यक्रम का प्रास्ताविक, परिचय तथा धन्यवाद ज्ञापन जिला संघचालक विपिन काकडे ने किया.

 

Exit mobile version