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वर्तमान ही नहीं भविष्य को लेकर भी सतर्क भारत, अरबों डॉलर के निवेश को देखते हुए रखना होगा लचीला रुख

नई दिल्ली। शेख हसीना से भारत की पूरी सहानुभूति है और यह आगे भी जारी रहेगी। लेकिन उनकी सलामती को दुरुस्त रखते हुए इसकी भी तैयारी शुरू हो गई है कि पड़ोसी देश के साथ भारत के हित बरकरार रहें। इसकी उम्मीद जताई जा रही है हसीना बहुत जल्द किसी यूरोपीय देश में शरण लेंगी।

यह भारत के भी हित में है क्योंकि उनका लंबे समय तक यहां रहना बांग्लादेश की भविष्य की सरकार के साथ संबंधों को प्रभावित करेगा। लेकिन भारत इसमें अपनी ओर से कोई हड़बड़ी नहीं दिखाएगा। एक तरह से यह संदेश होगा की भारत अपने मित्रों के साथ पूरी दोस्ती निभाता है।

भारत वहां के सैन्य अधिकारियों के संपर्क में

विदेश मंत्री जयशंकर ने अपने बयान में कहा है की भारत वहां के सैन्य अधिकारियों के संपर्क में है। फिलहाल वहां अल्पसंख्यक हिंदुओं की जान माल की रक्षा के लिए लगातार संपर्क हो रहा है। पड़ोस में जो हो रहा है उसने सीधा हस्तक्षेप संभव नहीं।

लिहाजा बदलते हुए हालत के साथ इस तरह सामंजस्य बनाने की कोशिश होगी की हितों की ज्यादा बलि ना देनी पड़े। खास तौर पर तब जब न सिर्फ निजी भारतीय कंपनियों ने अरबों डॉलर का निवेश वहां कर रखा हो और पूर्वोत्तर राज्यों के साथ वैकल्पिक कनेक्टिविटी परियोजना लगाने में भी भारत सरकार ने तीन अरब डॉलर का कर्ज दे रखा हो।

अवामी लीग के नेताओं पर भी हमले हो रहे

हसीना के परिवार की तरफ से बांग्लादेश की राजनीति से हमेशा के लिए विदा देने संबंधी बयान आया है, इससे भी भारत के लिए अवामी लीग पर दांव लगाने का विकल्प खत्म हो गया है। वहां अवामी लीग के नेताओं पर भी हमले हो रहे हैं।

यह भी लगभग तय माना जा रहा है कट्टरपंथी गुट पार्टी पर ही प्रतिबंध लगा दे। यह भारत और विश्व के लिए अच्छी बात नहीं होगी लेकिन पड़ोस नहीं बदला जा सकता है। ऐसे में उसी तरह आगे बढ़ने की कोशिश होगी जैसे अफगानिस्तान की तालिबान सरकार के साथ हो रही है।

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