नई दिल्ली: भारत खुद को गोला-बारूद निर्माण में वैश्विक महाशक्ति बनने की ओर तेजी से आगे बढ़ा रहा है। फिक्की (FICCI) और केपीएमजी की नई रिपोर्ट में इस महत्वपूर्ण क्षेत्र में भारत की क्षमता और रणनीतिक प्रगति के बारे में बताया गया है। इसमें बताया गया है कि भारत के पास दुनिया में तेजी से बढ़ते हथियार बाजार पर कब्जा करने की क्षमता है। एम्मो इंडिया (AMMO) 2024 रिपोर्ट में गोला बारूद निर्माण क्षेत्र में बढ़ते अवसर को रेखांकित किया गया है। भू-राजनीतिक संघर्ष, सैन्य खर्च में वृद्धि और बढ़ते विद्रोह ने दुनिया में सैन्य खर्च को तेजी से बढ़ाया है। इसने वैश्विक हथियार बाजार में भारतीय कंपनियों के लिए मौके बढ़ गए हैं।
वैश्विक बाजार में भारत की बढ़ती भूमिका
एम्मो इंडिया 2024 की रिपोर्ट के अनुसार, वैश्विक गोला-बारूद बाजार के सालाना 3.95 प्रतिशत की दर से बढ़ते हुए साल 2032 तक 1,84,092 करोड़ (22 अरब डॉलर) तक पहुंचने की उम्मीद है। भारत के घरेलू हथियार उद्योग की इस विकास पथ में महत्वपूर्ण भूमिका होने वाली है। साल 2023 में गाला-बारूद की वैश्विक मांग 1,29,260 करोड़ रुपये (15.5 अरब डॉलर) आंकी गई थी। इसमें भारी कैलिबर गोला-बारूद का हिस्सा सबसे ज्यादा 53.4 प्रतिशत था। इसके बाद ग्रेनेड, माइंस और मोर्टार की 23.27 प्रतिशत और मध्य कैलिबर की हिस्सेदारी 12.84 प्रतिशत थी।
भारतीय बाजार में मजबूती
भारतीय गोला-बारूद बाजार तेजी से बढ़ने की राह पर है। गोला-बारूद बाजार में पर्याप्त वृद्धि को देखते हुए साल 2032 में इसके बाजार का मूल्य 7,057 करोड़ रुपये (84.4 करोड़ डॉलर) होगा, जो वैश्विक गोला-बारूद उद्योग का लगभग 5.5% है। रिपोर्ट में अनुमान लगाया गया है कि 2023-2032 की अवधि में बाजार 4.93% की सालाना वृद्धि दर से बढ़कर 11,981 करोड़ रुपये (1.4 अरब डॉलर) हो जाएगा।
भारतीय गोला-बारूद उद्योग पर पारंपरिक रूप से सरकारी स्वामित्व वाली संस्थाओं जैसे रक्षा सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों का दबदबा रहा है। अपने महत्वपूर्ण योगदान के बावजूद इन संगठनों को पुरानी तकनीक, अक्षमताओं और आपूर्ति श्रृंखला बाधा जैसी मुश्किलों का सामना करना पड़ा है। इससे मांगों को पूरा करने की उनकी क्षमता को सीमित किया है। रक्षा उत्पादन में उदारीकरण नीतियों और मेक इन इंडिया जैसी पहलों ने निजी क्षेत्र की भागीदारी को आकर्षित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। इस क्षेत्र में घरेलू और अंतरराष्ट्रीय दोनों खिलाड़ियों से निवेश में उछाल देखा गया है। गोला बारूद हथियार तीन मुख्य श्रेणियों में बंटा हुआ है।
स्माल कैलिबर गोला बारूद- इस श्रेणी में आने वाले हथियारों का इस्तेमाल मुख्य रूप से सैनिक करते हैं। इसमें 5.56 एमएम, 7.62 एमएम, 9 एमएम और 12.7 एमएम कैलिबर के हथियार शामिल हैं। भारतयी सैन्य बल प्रमुख रूप से 5.56 x 45 एमएम के नाटो राउंड पर निर्भर हैं।
मीडियम कैलिबर गोला बारूद- आर्मर लड़ाकू वाहनों, एयरक्राफ्ट, एंटी-एयरक्राफ्ट मोर्टार और जहाजों पर इनकी तैनाती होती है। इसमें 20 एमएम से 120 एमएम कैलिबर के गोले शामिल हैं।
हैवी कैलिबर गोला बारूद- टैंक और तोप में इस्तेमाल होने वाले ये गोला-बारूद 105 से 120 एमएम कैलिबर के होते हैं। भारत अपने तोपखाने को 120 एमएम कैलिबर पर कर रहा है।