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यूपी कैबिनेट के महत्वपूर्ण फैसले : अंतर्देशीय जल मार्ग प्राधिकरण का गठन होगा, अयोध्या तीर्थ विकास परिषद का गठन

प्रदेश सरकार ने दीपोत्सव से पहले भगवान राम की नगरी अयोध्या को कई बड़ी सौगातें दी है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में पहली बार अयोध्या में हुई कैबिनेट की बैठक में 14 महत्वपूर्ण प्रस्तावों पर मुहर लगी। इसमें अयोध्या अयोध्या धाम तीर्थ विकास परिषद के साथ ही देवीपाटन धाम तीर्थ विकास परिषद व श्री शुक्रताल धाम तीर्थ विकास परिषद के गठन को भी मंजूरी दे दी है।

अयोध्या में भव्य मंदिर बनने के बाद श्रद्धालुओं की संख्या में और वृद्धि होने को ध्यान में रखते हुए श्री अयोध्या धाम तीर्थ विकास परिषद के गठन का काफी लाभ होगा। यहां के पर्व, त्योहार और यहां की व्यवस्थाओं को अच्छे ढंग से आयोजित करने में सहयोग मिलेगा। इसमें स्थानीय स्तर के साथ-साथ राज्य स्तर और केंद्र सरकार के सहयोग से इनको आगे बढ़ाया जाएगा।                  इसी प्रकार मां पाटेश्वरी धाम देवीपाटन तीर्थ विकास परिषद के गठन को भी कैबिनेट ने हरी झंडी दी है। यह एक महत्वपूर्ण तीर्थ है, जहां नेपाल से जुड़े हुए श्रद्धालु नवरात्रि के अवसर पर बड़ी संख्या में आते हैं। वहीं श्री शुक्र तीर्थ विकास परिषद के गठन से मुजफ्फरनगर व आस-पास के विकास का भी रास्ता खुलेगा

इन तीर्थ विकास परिषद के माध्यम से इन क्षेत्रों में पर्यटक अवस्थापना सुविधाओं, सभी सांस्कृतिक, पारिस्थितिकीय व स्थापत्य विरासत के सौंदर्यीकरण व संरक्षण, योजनाओं के क्रियान्यवयन का समन्वय, एकीकृत पर्यटन विकास का काम किया जाएगा। यहां होने वाले विकास व प्लानिंग के काम की अध्यक्षता मंडलायुक्त करेंगे। कैबिनेट ने इन तीर्थ विकास परिषद के गठन को विधानमंडल में प्रस्तुत करने पर अपनी सहमति दी। इन तीर्थ विकास परिषद के गठन से पर्यटन व रोजगार को काफी बढ़ावा मिलेगा।

यह होगा परिषद के गठन का लाभ
प्रमुख सचिव पर्यटन व संस्कृति मुकेश मेश्राम ने बताया कि परिषद के गठन से पूरे क्षेत्र के पर्यटन विकास को गति मिलेगी। पर्यटन विकास की योजनाओं को सुव्यवस्थित तरीके से सभी विभाग मिलकर आगे बढ़ाने का काम करेंगे। जिनका नेतृत्व मंडलायुक्त करेंगे। इन विकास परिषद क्षेत्र की ऐतिहासिक, विरासत वाले स्थलों, पुरातात्विक महत्व के स्थलों का संरक्षण किया जाएगा। इन क्षेत्र में आम जनता के लिए मूलभूत सुविधाओं का भी विकास होगा।

महराजगंज में पर्यटन परियोजनाओं के लिए पर्यटन विभाग को निःशुल्क भूमि

प्रदेश कैबिनेट ने महराजगंज के सोहगीबरवा वन्य जीव प्रभाग के पास पर्यटन की योजनाओं के लिए पर्यटन विभाग को निःशुल्क भूमि उपलब्ध कराने को मंजूरी दे दी है। सोहगीबरवा से लेकर बखिरा तक के वन्य जीव विहार में टाइगर, पैंथर, चीतल, जंगली बिल्लियां, सांभर, हिरन आदि पाए जाते हैं। नेपाल सीमा के पास स्थित इस विहार को पर्यटन के क्षेत्र में और विकसित करने व पर्यटन सुविधाओं में विकास के लिए जमीन की जरूरत है। इसके तहत लगभग 15 एकड़ भूमि ईको टूरिज्म के लिए उपलब्ध कराई जाएगी।

सोनभद्र के बरदिया और सेंदुरिया के ग्रामीणों को मिलेगा भूमि पर अधिकार
सोनभद्र जिले की रार्बट्सगंज तहसील के बरदिया और सेंदुरिया के ग्रामीणों को सालों के इंतजार के बाद अब भूमि का अधिकार मिलेगा। योगी कैबिनेट ने दोनों गांवों में भारतीय वन अधिनियम 1927 की धारा-4 से आच्छादित वन भूमि के लिए अधिनियम की धारा 20 के तहत अधिसूचना जारी करने का प्रस्ताव मंजूर किया है। वनवासी सेवा आश्रम की ओर से 1982 में दोनों गांवों में रह रहे आदिवासियों और मूल निवासियों को भूमिधर का अधिकार दिलाने के लिए उच्चतम न्यायालय में याचिका दायर की गई थी। सुप्रीम कोर्ट ने आश्रम के पक्ष में निर्णय दिया है। सरकार के प्रवक्ता ने बताया कि दोनों गांवों के जिन लोगों के पक्ष में वाद का निर्धारित हुआ है उन्हें भूमिधर का अधिकार मिलेगा। इसके अतिरिक्त गांव की भूमि सामुदायिक उपयोग के लिए भी मिल सकेगी।

कैबिनेट 12 विधानमंडल का शीतकालीन सत्र 28 नवंबर से
उत्तर प्रदेश विधानमंडल के दोनों सदनों का शीतकालीन सत्र 28 नवंबर से संचालित होगा। योगी कैबिनेट की बृहस्पतिवार को अयोध्या में आयोजित बैठक में विधानसभा और विधान परिषद का आगामी सत्र आहूत करने का प्रस्ताव मंजूर किया गया। शीतकालीन सत्र में सरकार वर्तमान वित्तीय वर्ष का पहला अनुपूरक बजट पेश किया जाएगा। विधानमंडल के शीतकालीन सत्र के बाद मंजूर अध्यादेशों के प्रतिस्थानी विधेयकों को विधानमंडल के सत्र में पारित कराने की योजना है। इनके अतिरिक्त औपचारिक और विधायी कार्य भी किए जाएंगे। विधानसभा का आगामी सत्र नई नियमावली के आधार पर संचालित होगा।

अंतर्देशीय जल मार्ग प्राधिकरण का गठन होगा
प्रदेश में जल परिवहन और जल पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए उत्तर प्रदेश अंतर्देशीय जल मार्ग प्राधिकरण का गठन किया जाएगा। योगी कैबिनेट की बृहस्पतिवार को अयोध्या में आयोजित बैठक में प्राधिकरण के गठन का प्रस्ताव मंजूर किया गया। कैबिनेट निर्णय की जानकारी देते हुए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बताया कि देश में कुल 111 राष्ट्रीय जल मार्ग हैं। यूपी में गंगा और यमुना नदी सहित अन्य नदियों में कुल 11 राष्ट्रीय जल मार्ग हैं। प्रदेश में सस्ता परिवहन उपलब्ध कराने के लिए प्राधिकरण का गठन किया जाएगा। इससे जल परिवहन, जल पर्यटन और पोत परिवहन, नौवहन के क्षेत्र में विकास, विनियमन और पर्यावरणीय सुरक्षा को विकसित किया जाएगा। प्रदेश के उत्पादों को बेहतर एवं सस्ती दरों पर देश के अन्य राज्यों और विदेशों में निर्यात किया जा सकेगा।

मुख्यमंत्री ने बताया कि अधिनियम में प्राधिकरण के क्षमता पूर्वक एवं निर्बाध संचालन के लिए उनकी शक्तियों, कार्य, निधि का गठन, परिसंपत्तियों और देनदारियों का स्थानांतरण, शुल्कों और प्रभारों का संग्रहण एवं बजट का प्रावधान किया है। कैबिनेट ने उत्तर प्रदेश अंतर्देशीय जल मार्ग प्राधिकरण अधिनियम 2023 को विधानमंडल के आगामी सत्र में पेश करने की भी मंजूरी दी है।

परिवहन मंत्री होंगे प्राधिकरण के अध्यक्ष
उत्तर प्रदेश अंतर्देशीय जल मार्ग प्राधिकरण में परिवहन मंत्री को अध्यक्ष नियुक्त किया जाएगा। परिवहन मंत्री के स्थान पर अंतर्देशीय जलमार्ग, शिपिंग एवं नेवीगेशन पोर्टस, मेरीटाइम अफेयर्स से संबंधित मामलों के विशेषज्ञ को भी प्राधिकरण का अध्यक्ष नियुक्त किया जा सकता है। इन क्षेत्रों में विशेषज्ञता रखने वाले और व्यवसायिक अनुभव वाले व्यक्ति को प्राधिकरण का उपाध्यक्ष नियुक्त किया जाएगा। परिवहन आयुक्त को प्राधिकरण का सीईओ नियुक्त किया जाएगा। वित्त, लोक निर्माण, परिवहन, पर्यटन एवं संस्कृति, सिंचाई, जल संसाधन, वन एवं पर्यावरण विभाग के अपर मुख्य सचिव या प्रमुख सचिव प्राधिकरण के पदेन सदस्य होंगे। भारतीय अंतर्देशीय जल मार्ग प्राधिकरण के प्रतिनिधि को भी सदस्य नियुक्त किया जाएगा।

प्रदेश में अब मनमर्जी से नहीं उड़ा सकेंगे ड्रोन
प्रदेश में अब ड्रोन को मनमर्जी से कहीं भी नहीं उड़ाया नहीं जा सकेगा। योगी कैबिनेट की अयोध्या में आयोजित बैठक में उत्तर प्रदेश ड्रोन प्रचालन सुरक्षा नीति-2023 को मंजूरी दी गई है। इसके तहत अब ड्रोन के लिए नो परमिशन-नो टेकऑफ की व्यवस्था लागू होगी। ड्रोन पर निगरानी के लिए रियल टाइम ट्रेकिंग बीकन और जीओ फैंसिंग की जाएगी।

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कैबिनेट निर्णय की जानकारी देते हुए बताया कि प्रदेश में ड्रोन के बढ़ते उपयोग और ड्रोन संचालन से सामने आ रही दिक्कतों को दूर करने और चुनौतियों का सामना करने के लिए यह नीति लागू करना आवश्यक है। नीति के तहत प्रत्येक ड्रोन का पोर्टल पर पंजीकरण कर पंजीकरण और यूआईडी नंबर प्राप्त करना आवश्यक होगा। ड्रोन की गतिविधियों पर थाना स्तर से भी निगरानी की जाएगी।

ड्रोन संचालन के लिए हवाई क्षेत्रों में लाल, पीले और हरे क्षेत्र निर्धारित किए जाएंगे। इन क्षेत्रों में नियमों के अनुसार ही ड्रोन का प्रचालन किया जाएगा। भारत सरकार के डिजिटल स्काई प्लेटफार्म तक राज्य सरकार के नोडल अधिकारी और जिला स्तरीय नोडल अधिकारी की पहुंच सुनिश्चित की जाएगी। नियमों का उल्लंघन करने पर ड्रोन का प्रचालन करने वाले से जुर्माना वसूला जाएगा। पुलिस कार्मिकों, राज्य कर्मियों को ड्रोन तकनीक, ड्रोन संचालन और ड्रोन संबंधी विधि एवं नियमों का प्रशिक्षण भी दिया जाएगा।

इन्हें मिलेगी छूट
प्रदेश सरकार के नियंत्रण वाले या राज्य सरकार के मान्यता प्राप्त अनुसंधान एवं विकास संस्थान, शैक्षणिक संस्थान, उद्योग संवर्धन और आंतरिक व्यापार विभाग से मान्यता प्राप्त स्टार्टअप, प्राधिकृत प्रशिक्षण संस्था और जीएसटी नंबर प्राप्त वायुयान निर्माता को इससे छूट दी जाएगी। वीआईपी और वीवीआईपी लोगों के दौरे, जनसभा, त्योहार, धार्मिक सम्मेलन और कानून व्यवस्था की स्थिति उत्पन्न होने पर अस्थायी रेड जोन घोषित किया जा सकेगा।

अयोध्या के मकर संक्रांति व बसंत पंचमी के साथ पांच मेलों को भव्य बनाएगी सरकार

प्रदेश के तीर्थस्थलों पर लगने वाले मेलों में आने वाले श्रद्धालुओं को बेहतर सुविधा मिलेगी। इसके लिए सरकार ने अयोध्या में मक्रर संक्रांति और वसंत पंचमी पर आयोजित होने वाले मेला समेत कुल 5 स्थानों पर लगने वाले मेला को प्रांतीय मेला घोषित किया है। इनमें कार्तिक पूर्णिमा के मौके पर वाराणसी में आयोजित होने वाले देव दीपावली मेला, बुलंदशहर के अनूप शहर के कार्तिक पूर्णिमा गंगा स्नान मेला और हाथरस के बृज द्वार देहरी में लक्खी श्रीदाऊजी महाराज का मेला शामिल है। इससे संबंधित प्रस्तावों को कैबिनेट ने मंजूरी दे दी गई है।

प्रस्ताव के मुताबिक सरकार के इस फैसले के बाद अब इन मेलों के आयोजन पर होने वाला खर्च नगर विकास विभाग द्वारा उठाया जाएगा। इससे मेला स्थलों पर सड़क, बिजली, शौचायल व आश्रय स्थल जैसी अवस्थापना सुविधाओं का विकास करना आसान होगा। दरअसल अयोध्या में हर वर्ष मकर संक्रांति व बसंत पंचामी पर मेला का आयोजन किया जाता है और इस मौके पर बड़ी संख्या में श्रद्धालु आते हैं। अयोध्या में हर साल पौष माह के शुक्ल पक्ष की द्वितीया से शुरू होकर सप्तमी तक पांच दिन मकर संक्रांति मेला चलता है। अयोध्या में ही माघ माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया से शुरू होकर पांच दिनों तक बसंत पंचमी मेला चलता है।

वाराणसी में हर साल कार्तिक पूर्णिमा के दिन देवदीपावली मेले का आयोजन किया जाता है। यह मेला 15 दिनों तक चलता है। इसका शुभारंभ 18वीं सदी ई. में महारानी अहिल्याबाई होल्कर द्वारा सर्वप्रथम पंचगंगा घाट पर हजार दीपयुक्त स्तंभ निर्मित कराकर किया गया था। यह काशी नरेश के सहयोग से लगातार चलता चला आ रहा है। इस मेले में देश-विदेश के काफी संख्या में श्रद्धालु व पर्यटक आते हैं। वाराणसी के आठ किलोमीटर के क्षेत्र में विस्तृत गंगा तट के दोनों तरफ और शहर के अनेक प्रसिद्ध कुंडों, तालाबों में इसे आयोजित किया जाता है। राज्य सरकार ने इसे भी प्रांतीय मेला घोषित किया है।

इसी प्रकार कार्तिक पूर्णिमा गंगा स्नान मेला अनूपशहर हर साल एकादशी पर होता है। अभी तक यह मेला अंर्तजनपदीय है। अयोध्या और अनूपशहर के इस मेले में प्रदेशभर से लोग आते हैं। इसीलिए राज्य सरकार ने इसे प्रांतीय मेला घोषित कर दिया है।

दाऊजी महाराज कासगंज में भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी यानी गणेश चतुर्थी से पूर्णिमा तक 15 दिन हर साल लक्खी मेले का आयोजन किया जाता है। भगवान श्रीकृष्ण के बड़े भाई बलराम के जन्मदिवस की छठ वाले दिन इस मेले में आने वाले दर्शनार्थियों की संख्या लाखों में पहुंच जाती है। मेले में आसपास के अन्य जिलों के लोग आते हैं। इसीलिए इस मेले को भी प्रांतीय मेला घोषित किया गया है।

पुष्टाहार उत्पादन ईकाई के लिए ग्राम्य विकास को मिलेगा 262 करोड़
बच्चों के लिए अनुपूरक पोषाहार तैयार करने के लिए बाल विकास सेवा एवं पुष्टाहार विभाग ग्राम्य विकास विभाग को अतिरिक्त 262.13 करोड़ रुपये का भुगतान करेगा। इससे संबंधित प्रस्ताव को कैबिनेट ने मंजूरी दे दी है। दरअसल अनुपूरक पोषाहार तैयार करने के लिए ग्राम्य विकास विभाग द्वारा ब्लाकवार पोषाहार उत्पादन ईकाईयों का संचालन किया जा रहा है। पोषाहार बनाने में प्रयुक्त होने वाले कच्चे माल की कीमत बढ़ने की वजह से ग्राम्य विकास विभाग बाल विकास विभाग से अतिरिक्त 262.13 करोड़ रुपये की मांग की थी। जिसे देने का फैसला किया गया है।

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