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सेंट मार्टिना द्वीप अमेरिका को दे दिया होता तो पीएम पद नहीं छोड़ना पड़ता- बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना

बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना ने कहा कि अगर उन्होंने बंगाल की खाड़ी में सेंट मार्टिन द्वीप पर संप्रभुता अमेरिका को सौंप दी होती और बंगाल की खाड़ी में उसे बेस बनाने की अनुमति दे देतीं तो वह सत्ता में बनी रह सकती थीं।  अब भारत में 76 वर्षीय शेख हसीना में भारत में अपने करीबी सहयोगियों से यह खास बातें साझा की हैं। 

बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना ने अमेरिका के खिलाफ एक चौंकाने वाला आरोप लगाया है. उन्होंने संकेत दिया गया कि वाशिंगटन की उन्हें पद से हटाने में भूमिका हो सकती है. पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना ने अमेरिका पर आरोप लगाया है कि उसने उन्हें सत्ता से हटाने का प्रयास किया, क्योंकि उन्होंने सेंट मार्टिन द्वीप पर नियंत्रण छोड़ने से इनकार कर दिया था.

रिपोर्ट के अनुसार, पूर्व बांग्लादेशी प्रधानमंत्री के करीबी सहयोगियों का हवाला देते हुए शेख हसीना ने कहा,”मैंने इस्तीफा दे दिया, ताकि मुझे छात्रों की लाशों का जुलूस न देखना पड़े. वे छात्रों की लाशों पर सत्ता में आना चाहते थे, लेकिन मैंने ऐसा नहीं होने दिया. इसके लिए मैंने प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया.” उन्होंने यह भी कहा कि अगर उन्होंने सेंट मार्टिन द्वीप की संप्रभुता को त्याग दिया होता और अमेरिका को बंगाल की खाड़ी पर अपना प्रभाव जमाने दिया होता, तो वे सत्ता में बनी रह सकती थीं.

सेंट मार्टिन द्वीप का क्या है महत्व? आखिर क्यों इसे US को नहीं देना चाहती थीं शेख हसीना…..

9 KM लंबी पट्टी में बसा है सेंट मार्टिन द्वीप

दरअसल, जिस द्वीप का बांग्लादेश की पूर्व पीएम शेख हसीना ने जिक्र किया है उसका नाम सेंट मार्टिन है. जोकि बंगाल की खाड़ी के उत्तरपूर्वी भाग में केवल 3 वर्ग किमी क्षेत्रफल का आइलैंड है. जो कॉक्स बाजार-टेकनाफ प्रायद्वीप के सिरे से करीब 9 किमी साउथ में है. इसके साथ ही बांग्लादेश के सबसे दक्षिणी छोर का निर्माण करता है.

18वीं शताब्दी में अरब के कारोबारियों ने बसाया

जहां हजारों साल पहले ये द्वीप टेकनाफ प्रायद्वीप का ही हिस्सा हुआ करता था. टेकनाफ प्रायद्वीप का कुछ हिस्सा बाद में समुद्र में डूब गया. इस तरह उसका सबसे दक्षिणी हिस्सा बांग्लादेश की धरती से अलग हो गया और एक द्वीप बन गया. इस द्वीप को सबसे पहले 18वीं शताब्दी में अरब के कारोबारियों ने बसाया था. उन्होंने इसका नाम ‘जजीरा’ रखा था.

US मांग रहा था सेंट मार्टिन द्वीप

ब्रिटिश शासन के दौरान इस द्वीप का नाम चटगांव के तत्कालीन डिप्टी कमिश्नर के नाम पर सेंट मार्टिन रखा गया था. मगर, स्थानीय लोग इस द्वीप को बंगाली भाषा में ‘नारिकेल जिंजिरा’ कहते हैं, जिसका अंग्रेजी में मतलब है ‘कोकोनट आइलैंड’. यह बांग्लादेश का एकमात्र कोरल आइलैंड यानि कि (मूंगा द्वीप) है. जिसे अमेरिका 9 किलोमीटर लंबे और 1.2​ किलोमीटर चौड़े द्वीप पर इसलिए कब्जा चाहता है, जिससे कि वो यहां एयर बेस बना सके. ताकि वो उसे बंगाल की खाड़ी और हिंद महासागर में अपना प्रभुत्व जमाकर भारत और चीन पर अपनी पकड़ मजबूत कर सके.

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