आपको याद होगा, कुछ महीनों पहले की बात है. मालदीव में मोहम्मद मुइज्जू ‘इंडिया आउट’ का नारा लगाकर सत्ता में आ गए थे. शपथ लेते ही मालदीव में तैनात भारतीय सैनिकों को तुरंत देश छोड़ने का आदेश सुना दिया था. अगले ही पल भारत को दुश्मन मानने वाले चीन की शरण में चले गए. भारत समझाता रहा, लेकिन नहीं माने.
मालदीव से रवाना होने से पहले मुइज्जू ने कहा, मालदीव आर्थिक संकट से जूझ रहा है. मुझे भरोसा है कि भारत हमारी मदद करेगा. बीबीसी की रिपोर्ट के मुताबिक, मालदीव का विदेशी मुद्रा भंडार करीब 400 मिलियन डॉलर रह गया है. इससे सिर्फ डेढ़ महीने का ही खर्च चलाया जा सकता है. बता दें कि मालदीव को भारतीय टूरिस्ट से बड़ी मात्रा में कमाई होती थी, लेकिन जब से उनके मंत्रियों ने भारत विरोधी बयान दिया है, यह कमाई काफी हद तक कम हो गई है. मालदीव पर भारी कर्ज भी है.
पहले तुर्की-चीन की ओर देखा, लेकिन…
भारत आने से पहले मुइज्जू ने चीन और तुर्की जाना बेहतर समझा था. जनवरी में वे तुर्की गए थे. फिर चीन का दौरा किया. वे भारत नहीं आए. इसे कूटनीतिक हलकों में भारत से नाराजगी के तौर पर देखा गया. क्योंकि इससे पहले मालदीव में जो कोई भी सत्ता संभालता है, वह सबसे पहले भारत आता रहा है.
दोनों देशों के बीच तल्खी तब और बढ़ गई जब इसी साल की शुरुआत में मालदीव के उप युवा मंत्री मालशा शरीफ और मरियम शिउना ने सोशल मीडिया में पीएम मोदी के खिलाफ आपत्तिजनक टिप्पणी कर डाली. इसके बाद कूटनीतिक विवाद बढ़ा. मुइज्जू मालदीव में ही घिर गए. विरोध बढ़ा तो उन्हें अपने दोनों मंत्रियों को सस्पेंड तक करना पड़ा. मुइज्जू ने मंत्रियों के बयान को शर्मनाक बताया था. इसके बाद से ही दोनों देशों के रिश्तों में बेहतरी का दौर शुरू हो गया.
मुइज्जू के सुर कैसे बदले
–सरकार बनते ही उन्होंने कहा था-भारत को अपने सैनिकों को तुरंत वापस बुलाना होगा. उनकी जगह नागरिकों की तैनाती करनी होगी. फिर वे चीन-तुर्की की ओर भागे. यहां तक कि चीनी रिसर्च शिप जियांग यांग होंग-3 को भी अपने पोर्ट पर आने की अनुमति दे दी, जिससे भारत काफी नाराज हुआ था.
–लेकिन जब चीन से कोई मदद मिलती नजर नहीं आई, तो कहने लगे कि भारत के साथ मालदीव के एक खास रिश्ते हैं. ये द्विपक्षीय संबंध हैं और इसका किसी और देश से मतलब नहीं.
–पीएम मोदी पर टिप्पणी करने वाले मंत्रियों को सस्पेंड करने के बाद कहा, किसी को भी ऐसी बात नहीं कहनी चाहिए. मैं किसी का भी इस तरह अपमान नहीं करूंगा, चाहे वह नेता हो या आम आदमी.
–फिर बोले मालदीव के कर्ज भुगतान को आसान बनाने के लिए भारत को धन्यवाद. हम भारत के साथ फ्री ट्रेड एग्रीमेंट समेत कई मसलों पर मजबूत संबंध चाहते हैं.
–अब कह रहे हैं कि भारत से हमें काफी उम्मीद है. हम आर्थिक संकट से निपटने के लिए भारत की मदद चाहते हैं और उम्मीद है कि भारत इसमें हमारी मदद करेगा.
–अब मालदीव की आधिकारिक वेबसाइट में मुइज्जू की नई दिल्ली यात्रा पर एक विशेष पेज बनाया गया है. इसमें उनकी यात्रा के बारे में जानकारी दी गई है.
मालदीव के लिए भारत जरूरी क्यों?
कूटनीतिक मामलों के जानकार मानते हैं कि मुइज्जू को समझ आ गया है कि मालदीव भारत पर कितना निर्भर है. चीन-तुर्की या कोई और मुल्क यह निर्भरता पूरी नहीं कर सकता. उसको भोजन, इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलमेंट और इलाज के लिए भारत की जरूरत है. चीन बार-बार वादा तो करता है कि मदद करेगा, लेकिन आज तक एक फूटी कौड़ी भी नहीं दी.
विदेश मंत्री एस जयशंकर इसे अच्छी तरह से समझते हैं और मुइज्जू को भी इसे समझा चुके हैं. कुछ दिनों पहले जब जयशंकर मालदीव गए थे, तब उन्होंने कहा था कि मालदीव हमारी ‘नेबरहुड फर्स्ट पॉलिसी’ की आधारशिलाओं में से एक है. मालदीव इनमें सबसे आगे है.