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आयकर अधिनियम में संशोधन पर भड़के कालीन उद्योग कारोबारी, PM Modi से हस्तक्षेप की मांग

  कालीन कारोबारियों का कहना है कि इस नए नियम के बाद भदोही में 80 फीसदी धंधा चौपट हो जाएगा और इसका असर हजारों परिवारों पर पड़ेगा।

UP: आयकर अधिनियम की धारा 43 बी (एच) को कालीन उद्योग के लिए काल बताते हुए कारोबारियों ने प्रधानमंत्री से हस्तक्षेप की मांग की है। देश और दुनिया में अपने कालीनों के लिए मशहूर उत्तर प्रदेश में भदोही जिले के कारोबारियों ने आयकर अधिनियम में किए गए संशोधन को वापस लेने की मांग प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से की है।

कालीन कारोबारियों का कहना है कि इस नए नियम के बाद भदोही में 80 फीसदी धंधा चौपट हो जाएगा और इसका असर हजारों परिवारों पर पड़ेगा। भदोही के विधायक व कालीन निर्माताओं की आवाज उठा रहे जाहिद बेग ने  बताया कि इस अधिनियम के तहत 50 करोड़ रुपये से अधिक टर्नओवर वाली इकाईयों को मुक्त रखा गया है जबकि उससे कम वाले इसके दायरे में होंगे। देश से होने वाले कालीन निर्यात में 80 फीसदी से अधिक की हिस्सेदारी रखने वाले भदोही जिले मं 80 फीसदी निर्माता 50 करोड़ रुपये के सालाना टर्नओवर से कम के दायरे में आता है। जाहिद बेग का कहना है कि आयकर अधिनियम में एमएसएमई को शामिल किए जाने का अधिकांश कालीन निर्माताओं पर प्रभाव पड़ेगा।

उनके मुताबिक भदोही में ज्यादातर कालीन के व्यवसायी उधार पर कच्चा माल खरीदते हैं जिसका भुगतान तीन से चार महीने के भीतर करते हैं। अधिनियम की धारा 43 बी (एच) के अनुसार अब भुगतान 45 दिन के भीतर न करने की दशा में उस पर कर लगेगा जो कि कालीन की लागत को बढ़ा देगा।

कालीन कारोबारी अनिल मौर्य कहते हैं कि निर्यात के बाद विदेशों से भुगतान में न्यूनतम दो से छह महीने और कभी-कभी तो एक साल का भी समय लग जाता है। इस दशा में अधिनियम कालीन निर्यातकों की मुसीबत ही बढ़ाएगा। लागत बढ़ जाने की दशा में कालीन की कीमत बढ़ानी होगी और इस समय चल रही कड़ी प्रतिस्पर्धा के दौर में यह संभव नहीं है।

प्रधानमंत्री को लिखे पत्र में जाहिद बेग ने कहा है कि आयकर अधिनियम की इस धारा के लागू होने की दशा में भदोही का 200 साल पुराना कालीन उद्योग समाप्त होने के कगार पर पहुंच जाएगा। उन्होंने लिखा है कि अकेले भदोही और आसपास के जिलों में 30 लाख लोग कालीन के कारोबार से जुड़े हैं जिनकी रोजी रोटी पर संकट खड़ा हो गया है। पत्र में प्रधानमंत्री से अधिनियम की इस धारा को हटाने की मांग की गयी है।

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